धनबाद(DHANBAD): धनबाद रेल मंडल ने 8 नवंबर 22 को एक सौ मिलियन टन लदान का इतिहास बनाया है. आईआईटी आईएसएम भी धनबाद के पास है. डीजीएमएस का मुख्यालय भी धनबाद में ही है. कोल इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी बीसीसीएल भी धनबाद के खाते में है. यानी हम कह सकते हैं कि धनबाद में बहुत कुछ रहते हुए, सब कुछ नहीं है. यहां के लोग एक एयरपोर्ट के लिए लगातार मांग कर रहे है. लेकिन धनबाद को एयरपोर्ट की सुविधा नहीं दी जा रही. देवघर में एयरपोर्ट का उद्घाटन हुआ. धनबाद के लोग ठगे गए, अब साहिबगंज में एयरपोर्ट की योजना है. बोरियो में 300 एकड़ जमीन चिन्हित की जा चुकी है.
2 दिन पहले साहिबगंज का निरीक्षण किया
एयरपोर्ट अधिकारियों की टीम ने 2 दिन पहले साहिबगंज का निरीक्षण भी किया. यह देखा कि यहां एयरपोर्ट बनाने की कितनी संभावना है. टीम ने जमीन का भी निरीक्षण किया. सूत्र बताते हैं कि जमीन उन्हें पसंद भी आ गई है. ऐसे में यह संभावना बन रही है कि साहिबगंज के बारे में अधिकारियों की टीम सकारात्मक रिपोर्ट देगी. तर्क यह दिया जा रहा है कि साहिबगंज में गंगा नदी पर पुल बन रहा है, बंदरगाह बन रहा है, ऐसे में वहां एयरपोर्ट की जरूरत पड़ेगी. फिर अगर साहिबगंज में एयरपोर्ट बन जाता है तो संथाल परगना में दो-दो एयरपोर्ट हो जाएंगे.
सबकुछ रहते हुए धनबाद में बहुत कुछ नहीं
आखिर, धनबाद के साथ यह नाइंसाफी क्यों, धनबाद एयरपोर्ट के लिए कोई ऐसी अहर्ता नहीं है, जिन्हे पूरा नहीं करता. फिर भी एयरपोर्ट के बारे में कोई सकारात्मक बातें सुनने को नहीं मिलती. इस संबंध में बैंक मोड़ चेंबर के महासचिव प्रमोद गोयल का कहना है कि धनबाद में एयरपोर्ट नहीं बनने का एकमात्र कारण है कि' घर में आग लगी है- घर के चिराग से' मतलब यहां के राजनीतिज्ञ एक दूसरे को कट टू साइज करने में लगे है. जनता के हितों का उनको कोई ध्यान नहीं है. हालांकि उन्होंने यह संकेत दिया कि केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय, धनबाद में एयरपोर्ट बनाने का मन बना रहा है. सिर्फ थोड़ा सा प्रयास करने की जरूरत है. जन सुविधाओं के प्रति शिथिलता यहां की एक बड़ी समस्या है.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद