देवघर(DEOGHAR): नव वर्ष के अवसर पर बड़ी संख्या में सैलानियों की भीड़ देवघर में जुटने लगती है. खासकर त्रिकुट पहाड़ उनके आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है. लेकिन लगातार दूसरा वर्ष होगा जब यहां आने वाले सैलानियों को रोपवे का आनंद नहीं मिलेगा. दरअसल 10 अप्रैल 2022 को हुए एक हादसे में रोपवे को अगले आदेश तक पूर्णता बंद कर दिया गया है.
प्रकृति की गोद के बीच स्थित है त्रिकूट रोपवे
देवघर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के साथ एक मनोरम पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. यूं तो सालों भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन श्रावणी मास के अलावा सर्दी का मौसम शुरू होते ही सैलानियों का हुजूम देवघर पहुंचता है. खासकर यहां का त्रिकुट पहाड़ और इसका रोपवे उनके आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है. चारों ओर हरियाली, पहाड़ के बीच बड़ी संख्या में सैलानी नव वर्ष का जश्न और पिकनिक मनाने हर एक साल आते हैं. झारखंड का एकमात्र रोपवे देवघर के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है इस रोपवे का भी लुफ्त बड़ी संख्या में सैलानी उठाते हैं. लेकिन 10 अप्रैल 2022 को हुए त्रिकूट हादसे के बाद इसके संचालन पर अगले आदेश पर पूर्णतः रोक लगा दी गई है. ऐसे में मायूस सैलानी रोपवे का आनंद ना उठाकर आसपास जश्न और पिकनिक मनाने डूब जाते हैं. त्रिकुट पहाड़ के नैसर्गिक सुंदरता के बीच पाकर सैलानी बस रोमांचित हो जाते हैं. नए साल का जश्न और पिकनिक के लिए भी यह जगह सैलानियों की पहली पसंद होती है.
रोजी रोजगार का अच्छा जरिया रोपवे था
2009 में रोपवे का निर्माण करोड़ों रुपए की लागत से कराई गई थी. इसका संचालन एक निजी कंपनी को सोपा गया है. इस रोपवे से प्रतिदिन लाखों रुपए की आमदनी संचालक को होती थी. त्रिकूट रोपवे संचालित होने से आसपास के क्षेत्र के लोगों को भी रोजी-रोटी का एक बेहतर जरिया मिला था. लेकिन पिछले वर्ष हुए हादसे के बाद से पर्यटकों का आना न के बराबर हो गया है. इस कारण रोपवे के नीचे अपने और अपने परिवार का गुजर बसर करने वाले छोटे-छोटे दुकानदारों पर गहरा प्रभाव पड़ा है. पर्यटकों के नहीं आने से उनकी आर्थिक स्थिति डमाडोल हो गई है. लेकिन बहुत हद तक उनकी स्थिति सुधरने की पटरी पर खड़ी हो रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में सैलानी यहां अभी से ही नव वर्ष का जश्न और पिकनिक मनाने के लिए आने लगे हैं. रोपवे का संचालन नही होने से रोपवे क्षेत्र वीरान लग रहा है.