देवघर (DEOGHAR): दिल्ली हावड़ा मुख्य रेल मार्ग स्थित है मथुरापुर रेलवे स्टेशन.देवघर जिला अंतर्गत इस स्टेशन से रेलवे को यात्री और माल भाड़ा से पर्याप्त आमदनी होती है. लेकिन यात्रियों की बुनियादी सुविधाएं नदारत है. स्टेशन परिसर में शौचालय तो है लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं स्टेशन पर जगह जगह नल कनेक्शन भी है लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं है. अच्छी खासी आमदनी देने वाला इस स्टेशन से सुबह 7 से दोपहर 2 बजकर 45 मिनट में डाउन की तरफ एक भी ट्रेन नहीं है और सुबह 11 से शाम 7 बजकर 30 मिनट में अप लाइन में एक भी ट्रेन का परिचालन नहीं होने से स्थानीय लोगों को हाट बाजार, कोर्ट कचहरी, स्कूल कॉलेज आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ट्रैन का परिचालन नहीं होने से अपनी अपने जेब के अनुसार स्थानीय लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का काम कर रहे है. पहले इस स्टेशन पर हावड़ा अमृतसर बनारस और सियालदह मुजफ्फरपुर जैसी ट्रेनों का ठहराव हुआ करता था लेकिन रेलवे द्वारा ट्रेन के ठहराव पर रोक लगा दी गई.
स्थानीय लोगों ने 5 सूत्री मांगों के समर्थन में दिया धरना, अविलंब पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी
रेलवे को अच्छी खासी राजस्व देने वाला मथुरापुर स्टेशन पर टाटानगर से बक्सर चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव, सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच 2 लोकल ट्रेन का ठहराव इस स्टेशन पर करने सहित 5 सूत्री मांगों के समर्थन में रेलवे के खिलाफ आज स्थानीय लोगों ने धरना दिया. सामाजिक कार्यकर्ता, पूर्व डीआरयूसीसी के सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव जनार्दन पांडेय के नेतृत्व में धरना का कार्यक्रम आयोजित हुआ. आज अहले सुबह से ही लोगों ने मथुरापुर स्टेशन कर समीप धरना पर बैठ कर रेलवे प्रबंधन से अपनी मांगों के समर्थन में आवाज़ बुलंद की. धरना प्रदर्शन करने वाले लोगों की अन्य मांगों में अर्जुन नगर हॉल्ट पर सभी लोकल ट्रेन का ठहराव तथा फुट ओवरब्रिज का निर्माण हो. मथुरापुर, अर्जुन नगर हॉल्ट एवं शंकरपुर स्टेशनों पर कम्प्यूटरीकृत टिकट बुकिंग काउंटर, पेयजलापूर्ति, प्रतीक्षालय एवं शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के अलावा मथुरापुर में लगभग सत्तर से अस्सी वर्षों से छोटे-मोटे दुकान चलाकर जी रहे लोगों को रेलवे विस्तारीकरण के कारण विस्थापित हुए परिवारों को पुनर्वास की व्यवस्था करने, ध्वस्त जमीन मकान के लिये प्रति परिवार को न्यूनतम दस लाख मुआवजा देने तथा विस्थापितों को दुकान की व्यवस्था कर वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग शामिल है.
स्थानीय लोगों द्वारा अपनी मांगों का आवेदन आसनसोल रेल मंडल प्रबंधक के माध्यम से रेल मंत्री को भेजा जाएगा. बहुत दिनों से स्थानीय लोगों द्वारा रेलवे से मांग की जाती आ रही है. लेकिन रेलवे द्वारा कोई पहल नहीं की गई. स्थानीय लोगों की माने तो यह अंतिम आवेदन है अगर इनकी मांगो को जल्द पूरा नहीं करने पर रेलवे प्रबंधन के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की बात कही जा रही है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा