देवघर (DEOGHAR) : देवघर के चितरा में स्थित एस पी माइंस कोलियरी से कोयला चोरी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई में लगे डम्फर से कोयले की चोरी लगातार जारी है. देवघर जिला के चितरा थाना क्षेत्र की सीमा समाप्त होते ही जामताड़ा जिला के बिंदापत्थर थाना क्षेत्र के सोरेनपाड़ा , पहाड़गोड़ा आदि जगहों पर दिनदहाड़े कतार में डम्फर लगे दिखाई दिया जा रहा है. इन डंफरों से कोयले को उतारा जाता है. चितरा कोलियरी से जामतारा रेलवे साइडिंग तक होने वाली कोयले की ढुलाई में प्रति डंफर दो से तीन क्विंटल तक कोयले की चोरी होती है.
जामताड़ा रेलवे साइडिंग भेजा जाता है चोरी का माल
बता दें कि चितरा कोलियरी से निकली कोयला को डंफरों के माध्यम से जामताड़ा रेलवे साइडिंग पहुंचाया जाता है. फिर ट्रेन के माध्यम से विभिन्न बिजली उत्पादन संस्थान को कोयला भेजा जाता है. चितरा कोलियरी में कोल डंप से पहले कोयले को क्रशर से चूर्ण किया जाता है. उसके बाद पेलोडर की मदद से डम्फर गाड़ियों में चूर्ण हुए कोयले को लोड किया जाता है. इसी क्रम में डंपर के चालक और सह चालक अगल बगल से कोयले के बड़े-बड़े टुकड़े को चुरा कर डम्फर में डाल देते हैं और चोरी किए गए कोयला को देवघर जिला के चितरा थाना क्षेत्र की सीमा समाप्त होते ही उतार कर बेच दिया जाता है. जिसे कोयला माफिया द्वारा जामताडा जिला के बिंदापाथर थाना क्षेत्र के पहाडगोडा और सोरेन पाडा के झाडियों में स्थित अवैध डिपो में एकत्रित किया जाता है. फिर रात के अंधेरे में ट्रकों में लोडकर बिहार और बंगाल भेज दिया जाता है. जितनी मात्रा में डंफरों से कोयले को उतारा जाता है, उतनी मात्रा में मिट्टी और पत्थर को कोयला माफियाओं द्वारा रास्ते में ही लोड कर दिया जाता है. जिससे कोयले की गुणवत्ता भी खराब होती है. सबसे बड़ी बात है इतना सारा खेल कोलियरी के ट्रांसपोर्ट कर्मी और सुरक्षाकर्मी के आंखों के सामने होता है. इस कारण इनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता.
रकम की वसूली
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चोरी के इस बड़े खेल के लिए विचोलियों के माध्यम से एक तय रकम वसूली जाती है. एक ओर जहां पुरे राज्य में अवैध कोयला पर केंद्रीय जांच कमिटी की कार्यवाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर चितरा कोलियरी में कार्यवाई को नजरंदाज करते हुए कोयले की चोरी अनवरत् जारी है. इस कोयले के अवैध कारोबार से एक ओर कोयला माफिया और संलिप्त लोग मालामाल हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रोजाना लाखों के राजस्व का नुकसान सरकार को हो रहा है. इस पूरे खेल में ईसीएल प्रबंधन और झारखंड पुलिस की सांठ गांठ होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता. सरकार को हो रही राजस्व हानि का आखिर जिम्मेदार कौन.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर