देवघर (DEOGHAR) : एक तरफ सरकार देशी चिकित्सा को बढ़ावा देने का दावा करती है. वहीं देवघर में सरकार की लापरवाही के कारण देशी चिकित्सा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. चिकित्सकों की कमी और अस्पलात में अनियमित रूप से मौजूद होने के कारण चिकित्सालय पहुंचने वाले मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है. वहीं अस्पताल में दवाईयां भी न के बराबर उपलब्ध है. यहां तक की कर्मी के नहीं रहने से कभी कभी चिकित्सक को कंपाउंडर भी बनना पड़ता है. अच्छी इमारत होने के बाद भी औषधालय में कई तरह के त्रुटि है. अब इसका जिम्मेदार सरकार को माना जाए, या किसी और को, यह एक बड़ा सवाल है.
हुआ था औषधालय का निर्माण
देवघर पुराना सदर अस्पताल परिसर में देशी चिकित्सा के लिए संयुक्त औषधालय का निर्माण कराया गया है. यहां पर आयुर्वेदिक,यूनानी और होमियोपैथी चिकित्सा के लिए अलग अलग प्रभाग भी बना हुआ है. लेकिन चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने के कारण देशी चिकित्सा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. इस औषधालय में यूनानी चिकित्सा के कोई भी चिकित्सक नहीं है. होमियोपैथी चिकित्सक भी प्रतिनियुक्त नहीं है. नतीजा है कि मरीजों को रोज यहां से निराश होकर लौटना पड़ता है. सिर्फ एक आयुष चिकित्सक के भरोसे किसी तरह खानापूर्ति की जा रही है.
रखी-रखी बर्बाद हो रही दवाईयां
इस आयुष चिकित्सालय में तीनों ही चिकित्सा पद्धति के लिए लाखों की दवा की खरीद की गयी है. लेकिन चिकित्सकों के नहीं होने के कारण ये दवाईयां रखी-रखी बर्बाद हो रही है. हैरानी की बात है कि यहां पर प्रतिनियुक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी भी मानते हैं कि विभाग की लचर व्यवस्था के कारन इसका लाभ मरीजो तक नहीं पहुंच पा रहा है.
देशी चिकित्सा पद्धति से कई असाध्य रोगों को स्थायी इलाज करने का दावा किया जाता है और यही कारण है कि सरकार द्वारा भी इसे बढ़ावा देने की बात की जाती है. लेकिन देवघर का संयुक्त औषधालय वास्तविक स्थिति बयां करने के लिए काफी है.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर