देवघर(DEOGHAR): देवघर जहाँ भोलेनाथ बैद्यनाथ के रूप में विराजमान मान है. माता सती के हृदय पर स्थापित ज्योर्तिलिंग का कामनालिंग भी कहते है.बाबाधाम एक शक्तिपीठ के रूप में भी विख्यात है. इस ज्योर्तिलिंग में स्पर्श पूजा का महत्व है. लेकिन सावन माह में अत्यधिक भीड़ होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से यहाँअरघा के माध्यम से बाबा का जलार्पण होता है. सावन माह के अंतिम दिन अरघा हो हटा दिया जाता है और फिर से स्पर्श पूजा शुरू हो जाती है. आज भी बाबा मंदिर में लगभग एक माह बाद स्पर्श पूजा शुरू हुआ.
भक्त मिले भगवान से,स्पर्श से भक्तों के बीच खुशी की लहर
राजकीय श्रावणी मेला के दौरान पिछले 22 जुलाई से देवघर आने वाले श्रद्धालु पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के स्पर्श से वंचित रहे है. लेकिन श्रावणी पुर्णिमा के दिन से आम लोगो के लिए अर्घा हटा दिया गया है और अब श्रद्धालु बाबा का स्पर्श कर पूजा अर्चना कर रहे है.गौरतलव है कि देवघर स्थित बाबा मंदिर में स्पर्श पूजा का महत्व है लेकिन श्रावण मास में अत्यधिक भीड़ होने से स्पर्श पूजा के दौरान हर किसी का जल बाबा पर नही चढ़ पाता था. ऐसे में सरकार ने अर्घा के माध्यम से जलापर्ण की योजना बनायी जिससे प्रत्येक श्रद्धालु बिना स्पर्श के ही श्रावणी मास मे बाबा का जलार्पण कर सके और सभी श्रद्धालु का जल बाबा पर चढ़ सके. आज राखी पूर्णिमा है आज दोपहर बाद से अर्घा हटा दिया गया है. तब देवघर के स्थानीय हो या बाबाधाम पहुंचने वाले श्रद्धालू बाबा का स्पर्श पूजा-अर्चना कर प्रफुल्ल हो रहे है. श्रद्धालुओं की माने तो लगभग एक माह बाद अपने भगवान से मिल रहे हैं.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा