दुमका (DUMKA) : दुमका और देवघर में भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश दिखा. इसी कड़ी में बुधवार को आई एम ए और झासा के संयुक्त आह्वान पर राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत दुमका में भी चिकित्सकों ने एक दिवसीय कार्य बहिष्कार किया. जिले के सभी चिकित्सक फूलोझानो मेडिकल कॉलेज परिसर में धरना पर बैठे रहे. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित जिले के तमाम अस्पतालों में ओपीडी सेवा बाधित रही, जबकि इमरजेंसी सेवा सुचारू रूप से जारी रहा. चिकित्सकों का कहना है कि आए दिन ना केवल चिकित्सकों पर जानलेवा हमला हो रहा है बल्कि उनके साथ अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि और आम लोग भी बदसलूकी से पेश आते हैं. रांची, गढ़वा, हजारीबाग, जामताड़ा, लोहरदगा सहित कई स्थानों पर इस तरह की घटना सामने आ चुकी है. भय के माहौल में आखिर चिकित्सक कैसे अपना कार्य करेंगे यह सबसे बड़ा सवाल है.
बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन से जोड़े जाने का विरोध
इसलिए चिकित्सकों की मांग है कि अन्य राज्यों की भांति झारखंड में भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो ताकि चिकित्सक भयमुक्त वातावरण में मरीजों की सेवा कर सके. बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन से जोड़े जाने का भी चिकित्सकों ने विरोध किया और इसकी मॉनिटरिंग का अधिकार संबंधित निकासी पदाधिकारी को दिए जाने की मांग की. इसके अलावा यूपी और हरियाणा के तर्ज पर झारखंड में भी 50 बेड अस्पताल और एकल क्लीनिक को क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट से मुक्त रखने की मांग की. चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से एक तरफ जहां ओपीडी सेवा बाधित रही वहीं दूरदराज से आने वाले मरीजों को परेशानी का भी सामना करना पड़ा.
देवघर में भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर धरना
वहीं देवघर में भी अपनी मांगों के समर्थन में ima द्वारा एक दिन का बहिष्कार किया गया. रविवार 26 फरवरी को रांची स्थित आई एम ए भवन करमटोली में राज्य कार्यकारिणी आई एम ए और झासा की बैठक सम्पन्न हुई थी. इसमें चिकित्सकों की निम्न मांगों को सरकार और विभाग द्वारा नहीं पूरी किये जाने उपरांत सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बुधवार को पूरे राज्य के चिकित्सक और चिकित्सा से जुड़े संगठन द्वारा सभी सरकारी के साथ-साथ गैर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इमरजेंसी सेवा को छोड़ कर अन्य सभी सेवाएं बाधित रहेगी.
Ima की प्रमुख मांगे निम्न है
1 ) गढ़वा -सरकार में शामिल जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी है कि सीमित संसाधनों में एवं संख्या से कम ह्यूमन रिसोर्सेज के साथ काम कर रहे हेल्थ सेक्टर को समय-समय पर प्रोत्साहित करें। जबकि उपस्थित जनप्रतिनिधियों द्वारा सिविल सर्जन कार्यालय और सभागार को जबरन कब्जा में लिया गया. उपाधीक्षक के सभागार से बाहर जाने के प्रयास के दौरान उन्हें जबरदस्ती रोका गया, अपशब्द बोलते हुए उनके साथ धक्का-मुक्की किया गया और मारपीट भी की गई. इसके बाद सिविल सर्जन और जिला कार्यक्रम प्रबंधक को कब्जे में लिया गया और अपने द्वारा किसी व्यक्ति को बुलाकर सीसीटीवी फुटेज डिलीट करा दिया गया. गढ़वा जिला में घटित पूरे घटनाक्रम को आई एम और झासा ने बारीकी से अध्ययन किया है. इसे गुंडागर्दी बताया है जिसका संघ विरोध कर रही है. दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी एवं कानून सम्मत कार्रवाई की मांग की जा रही है.
2) हजारीबाग-उप विकास आयुक्त द्वारा अपने कक्ष में बुलाकर मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष को लंबे समय तक खड़ा कर दिया जाता है, कुर्सी पर बैठ जाने के लिए अपमानित किया जाता है ,अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाता है अपने अंगरक्षक के द्वारा कॉलर पकड़कर कक्ष से बाहर कर दिया जाता है. उप विकास आयुक्त मेडिकल कॉलेज की विधि व्यवस्था में सुधार के लिए दिया गया अतिरिक्त प्रभार (प्रशासक) के लायक नहीं है. इन्हें इस पद से हटाने की मांग करती है.
3 ) जामताड़ा में स्थानीय विधायक द्वारा सिविल सर्जन को घसीट कर लाने की बात कही गई, संघ के विरोध के बाद फिर से एक बयान दिया गया कि निकम्मे सिविल सर्जन को चुम्मा लूंगा क्या? संघ के विरोध के बाद भी और प्रेस मीडिया में इसे बार-बार दिखाए जाने के बाद भी विभागीय मंत्री का एक भी बयान नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है।संघ द्वारा स्वास्थ्य मंत्री को अपने विभाग के किसी सिविल सर्जन के विरुद्ध अपशब्द और अमर्यादित भाषा के प्रयोग के लिए स्थानीय विधायक की निंदा की जानी चाहिए.
4) पेटरवार, बोकारो-सड़क दुर्घटना में घायल महिला को मृत घोषित किए जाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पेटरवार बोकारो में डॉ अजय चौधरी के साथ मारपीट किया जाता है. परिणाम स्वरूप डॉ अजय चौधरी को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती किया जाता है. संघ दोषी व्यक्ति की अविलंब गिरफ्तारी और कानून सम्मत कार्रवाई की मांग करती हैं.
5) लोहरदगा-सिविल सर्जन डॉ संजय कुमार सुबोध को प्राइवेट नर्सिंग होम के संचालक द्वारा जान से मारने की धमकी दी जाती है. उक्त के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है संघ दोषी व्यक्ति की अविलंब गिरफ्तारी एवं कानून सम्मत कार्रवाई की मांग करती हैं.
6) बायोमैट्रिक अटेंडेंस-प्रमुख सचिव एवं विभागीय स्वास्थ्य मंत्री से संघ ने इससे संबंधित ज्ञापन सौंपा है और बार-बार वार्तालाप का प्रयास जारी है. संघ फिर से अपना मांग दोहराती है की बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन से नहीं जोड़ा जाए और इसकी मॉनिटरिंग का अधिकार संबंधित निकासी पदाधिकारी को दिया जाए.
7) मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट-13 फरवरी को सभी जिला के उपायुक्त महोदय के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री महोदय के नाम आइ एम ए एवं झासा का संयुक्त ज्ञापन भेजा गया था , जिसमें मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में सुधार की मांग की गई है. मुख्यमंत्री को इन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए संघ को आमंत्रित किया जाना चाहिए था. संघ फिर से उनसे आग्रह करती है कि वर्तमान विधानसभा सत्र के दौरान दोनों मुख्य मुद्दों मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना और क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में सुधार को पारित कराया जाए.
रिपोर्ट : पंचम झा/रितुराज सिन्हा