चाईबासा(CHAIBASA): झारखंड जनाधिकार महासभा का प्रतिनिधिमंडल पश्चिमी सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा से मिला और ज़िला में आदिवासियों पर हो रहे हिंसा को रोकने के लिए पहल करने की अपील की. हाल में महासभा ने इस संबंध में एक सार्वजनिक अपील जारी किया था. सांसद को इस बारे में मांग पत्र दिया गया.
आदिवासियों पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए पहल की अपील
पिछले कुछ महीनों से पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा के वन क्षेत्रों, खास कर सदर, गोईलकेरा व टॉटो प्रखंडों के आदिवासी-मूलवासियों का जीवन उथलपुथल हो गया है. एक तरफ सुरक्षा बलों के अभियान के दौरान हिंसा और दूसरी ओर माओवादियों द्वारा हिंसा. इसके बीच निर्दोष आदिवासी-मूलवासी फंसे हुए हैं. बिना ग्राम सभा की सहमति के सुरक्षा बलों के कैंप बैठाए जा रहे हैं, जो पांचवी अनुसूची प्रावधानों और पेसा का खुला उल्लंघन है. गावों में डर और दमन का माहौल है. सुरक्षाबलों और माओवादियों की आपसी लड़ाई के डर से आदिवासी अपने जंगल भी नहीं जा पा रहे हैं, जो उनके लिए जीवनरेखा समान है. हाल के दिनों में, शाम होते ही सुरक्षाबलों द्वारा गावों की दिशा में गोलीबारी और मोर्टार दागे जा रहे हैं. दूसरी ओर माओवादियों द्वारा जवाबी कार्रवाई का डर. गांव के युवा, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं, सब दहशत में हैं. अभियान के दौरान यौन शोषण के डर से महिलाएं अपने घर में ही असुरक्षित महसूस कर रही हैं.
गावों में में बिना सहमति के कैंप स्थापित होने के बाद गाँव-समाज में फूट पड़ रही है
कई गावों में बिना सहमति के कैंप स्थापित होने के बाद गाँव-समाज में फूट पड़ रही है और गाँव का माहौल बिगड़ रहा है. कैंप के आसपास विदेशी शराब गैर-कानूनी तरीके से बिकने लगा है. आदिवासी अपनी परंपरा अनुसार न पूजा कर पा रहे हैं और न जी पा रहे हैं. गैर-आदिवासी व बाहरी सुरक्षा बल की उपस्थिति से गाँव में तनाव का माहौल है. इसके और अपनी समाज मे हो रहे शोषण- अत्याचार के विरोध में अपनी प्रतिक्रिया देने वाले आम ग्रामीणों को माओवादियों के समर्थक के रूप में देखा जा रहा है. सुरक्षा बलों के डर से ग्रामीण अपनी ग्राम सभा तक नहीं कर पा रहे हैं.
झारखंड जनाधिकार महासभा ने सांसद से अपील की है कि इस स्थिति को सामान्य बनाने और इन क्षेत्रों के आदिवासियों के लिए लोकतंत्र को पूर्ण बहाल करने के लिए मार्गदर्शन दें. साथ ही सरकार से अनुरोध करे कि
बिना ग्राम सभा की सहमति के लगाए गए सुरक्षा बलों के कैंप हटाए जायें और नए कैंप स्थापित करने से पहले ग्राम सभा की सहमति ली जाए. मात्र संदेह के आधार पर या माओवादियों को खाना खिलाने के कारण आदिवासी युवाओं को माओवादी हिंसा मामले में फ़र्जी रूप से न जोड़ा जाए.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा
