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अपराधी गिरफ्तार तो होते हैं पर सजा नहीं पाते, जानिए धनबाद के न्यायालय में कैसे दम तोड़ रहा कानून

अपराधी गिरफ्तार तो होते हैं पर सजा नहीं पाते, जानिए धनबाद के न्यायालय में कैसे दम तोड़ रहा कानून

धनबाद(DHANBAD): धनबाद पुलिस की नजर में छोटे मोटे मामले की कोई औकात नहीं है, छोटे मोटे मामलों के अपराधी अपराधी नहीं हैं. तभी तो धनबाद पुलिस न तो छोटे मामलों में अपराधी को पकड़ने में दिलचस्पी दिखाती है न ही इंवेस्टिगेशन में इंटरेस्ट लेती है. ये तो हुए कमजोर मामले लेकिन यदि ध्यान दें तो देखेंगे की बड़े और चर्चित मामलों में भी अधिकतर यही बात सामने आती है की पुलिस कार्रवाई के नाम पर बस केवल खानापूर्तिही करती है. कमोबेस सत्य यही है कि धनबाद पुलिस आरोपियों को सजा दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाती, अगर चर्चित हत्याकांडो की चर्चा की जाए, तो इसमें भी परिणाम वही निकलता है कि पुलिस का इन्वेस्टिगेशन न्यायालय में जाकर दम तोड़ देता है. पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने और चार्जशीट देने में तो दिलचस्पी दिखलाती है लेकिन सजा दिलाने में यह दिलचस्पी दिखती नहीं है. हम यहां चार मामलों की चर्चा कर यह बताने की कोशिश करेंगे कि चर्चित हत्याकांडों में भी ऐसा ही कुछ हुआ है. सवाल उठता है कि क्या पुलिस असली गुनाहगारों को गिरफ्तार नहीं करती या फिर अनुसंधान सही ढंग से नहीं होता. अगर ठीक ढंग से होता, तो पुलिस का पक्ष न्यायालय में जाकर दम क्यों तोड़ देता. हम  बात शुरू करते हैं संजय सिंह हत्याकांड से.

किसने मारा था संजय सिंह को

 26 साल की लड़ाई में संजय सिंह का हत्यारा कौन है, पता नहीं चल सका. झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के रिश्तेदार कोयला कारोबारी हर्ष सिंह के पिता संजय सिंह की हत्या का मामला न्यायालय में 26 साल तक चला.16 नवंबर को कोर्ट ने इसमें फैसला सुनाया, जिसमें आरोपी बलिया के एमएलसी रवि शंकर सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

रेलवे ठेकेदार इरफान खान का हत्यारा कौन

इसी तरह रेलवे ठेकेदार इरफान खान की हत्या 11 मई 2011 को कर दी गई थी. धनबाद डीआरएम कार्यालय परिसर में दिनदहाड़े ठेकेदार को गोलियों से भून दिया गया था. इसी साल नवंबर महीने में  कोर्ट ने फैसला सुनाया, कोर्ट ने फहीम खान, उसके पुत्र इकबाल खान, भाई नसीम खान साहित  अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. फिर वही सवाल है कि आखिर इरफान को मारने के लिए गोलियों की बरसात किसने की थी. बुंदेला बस के मालिक सुधीर सिंह की भी हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने झारूडीह एक युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.

सुधीर सिंह को मारने वाला कौन

पुलिस का दावा था कि सुधीर सिंह की हत्या में अंबिकापुरम के विकास सिंह साजिशकर्ता थे. लेकिन अभियोजन की ओर से पेश गवाहों ने इस बात की पुष्टि नहीं की. 26 नवंबर को कोर्ट ने विकास सिंह के अलावा राजू मालाकार, बिट्टू सिंह और महादेव सिंह को बरी कर दिया. इसी तरह का एक और मामला बहुत चर्चित हुआ था. 19 अक्टूबर 2016 को धनसार के सद्भावना आउट सोर्सिंग  गोली और बम चले थे. पुलिस की मौजूदगी में यह सब हुआ था. पुलिस ने खुद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस खुद की प्राथमिकी भी कोर्ट में साबित नहीं कर सकी. गवाह या तो  अपने बयान से पलट गए या प्राथमिकी का समर्थन नहीं किया. 30 नवंबर को पूर्व डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह और धनसार के अमरेंद्र सिंह सहित 22 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया.

रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद 

Published at:08 Dec 2022 03:36 PM (IST)
Tags:THE NEWS POSTDHANBAD NEWS POLIS CRIMINALS
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