धनबाद(DHANBAD): तो क्या स्क्रिप्ट तैयार है, जिसको जो रोल मिला है, उसके अनुसार सभी एक्टिंग कर रहे है. क्या यह सब किसी "मजबूत हाथ" के इशारे पर हो रहा है या इसके पीछे कोई गहरी राजनीति है. भाजपा के ही अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि महानगर जिला अध्यक्ष की जगह किसको जिला अध्यक्ष बनाना है ,इसकी तैयारी हो गई है. उसी के लिए झरिया ,बाघमारा और धनबाद तीन विधानसभा क्षेत्र में विरोध का "खेल" खेला जा रहा है. पहले झरिया में विरोध हुआ, फिर बाघमारा में विरोध हुआ और रविवार को धनबाद में विरोध के स्वर तेज हुए. धनबाद की बैठक थोड़ी आक्रामक थी. कहते है कि जिसे महानगर अध्यक्ष किसी नए को बनाने की "सुपारी" ली गई है, वह व्यक्ति भी धनबाद विधानसभा क्षेत्र का ही रहने वाला है.
धनबाद की बैठक अन्य जगहों से आक्रामक थी
धनबाद की बैठक में निशाने पर सिर्फ महानगर जिला अध्यक्ष श्रवण राय नहीं थे, बल्कि विधायक राज सिन्हा , प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह भी थे. यह बात भी सच है कि कमेटी के गठन में कुछ गड़बड़ियां हुई है, लेकिन उसके लिए सार्वजनिक मंच पर भाजपा जैसे अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ताओं का विरोध कितना सही है. और लगातार कई दिनों के विरोध के बावजूद प्रदेश कमेटी चुप क्यों है, यह एक बड़ा सवाल है. ग्रामीण धनबाद जिला भाजपा की कमेटी गठन को लेकर भी विरोध है लेकिन यह विरोध सार्वजनिक मंचों पर कहीं दिखाई- सुनाई नहीं दे रहा है.
महानगर के कार्यकर्ता खुले मंच से पार्टी को लगातार चुनौती दे रहे
लेकिन महानगर के कार्यकर्ता खुले मंच से पार्टी को लगातार चुनौती दे रहे है. अगर महानगर जिला अध्यक्ष को हटाना ही मकसद है, तो इसके लिए यह सब करने की क्या जरूरत है. विरोध कर रहे नेता कह रहे हैं कि उन्हें किसी का समर्थन नहीं है, वह स्वयं विरोध कर रहे है. धनबाद की भाजपा अब बदली-बदली सी दिख रही है. दरअसल, भाजपा की अंदरूनी राजनीति का यह सब प्रतिफल है. धनबाद जिला ग्रामीण भाजपा समिति की घोषणा के बाद धनबाद जिला महानगर कमेटी की घोषणा की गई थी. इसके अलावा कई मंडल अध्यक्षों को भी बदल दिया गया है. नतीजा हुआ है कि विरोध के स्वर फूट रहे है. कार्यकर्ता सीधे मांग कर रहे हैं कि महानगर जिला अध्यक्ष को हटाया जाए. महानगर जिला कमेटी के गठन को लेकर विरोध तेज हो गया है. यह विरोध चुनाव के ठीक पहले शुरू हुआ है. ग्रामीण जिला कमिटी की घोषणा पर भी विरोध हुआ था. महानगर की घोषणा होने पर भी विवाद और विरोध बढ़ने की संभावना थी, जो सच साबित हो रही है.
क्या कहते है प्रदेश मंत्री और जिला अध्यक्ष
प्रदेश मंत्री सरोज सिंह का कहना है कि भाजपा में योग्य कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है. सभी चाहते हैं कि उन्हें काम करने का अवसर मिले, लेकिन दायित्व सीमित होने के कारण, जिन्हें अवसर नहीं मिलता तो उन्हें मन में तकलीफ होती है. तकलीफ भी स्वाभाविक है, फिर भी कि
सी को तकलीफ है, तो अपनी बात पार्टी के फोरम पर रखना चाहिए. इधर, महानगर अध्यक्ष श्रवण राय का कहना है कि पार्टी सामूहिक निर्णय लेती है. कमेटी की घोषणा में अकेले जिला अध्यक्ष की भूमिका नहीं होती है. सांसद- विधायकों से भी प्रदेश स्तर पर सलाह करके कमेटी की घोषणा की गई है. अनुशासनहीनता नहीं होनी चाहिए. पिछले दो-तीन दिनों से चल रही गतिविधियों की जानकारी प्रदेश नेतृत्व को दे दी गई है और मार्गदर्शन देने की अपील की गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो