दुमका (DUMKA): झारखंड की राजनीति आदिवासी के इर्द गिर्द घूमती है. दल कोई भी हो आदिवासी को दरकिनार कर सत्ता के शिखर तक नहीं पहुच सकते, इसे सभी बखूबी समझते हैं. वर्ष 2024 में लोक सभा के कुछ महीने बाद झारखंड विधान सभा का चुनाव होना है. लोक सभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. सभी राजनीतिक दल चुनाव को लेकर रणनीति बनाने और उसे अमली जामा पहनाने में लगी है. झारखंड के परिदृश्य में बात करें तो भाजपा सबसे आगे चल रही है.केंद्रीय नेताओं का झारखंड प्रवास शुरू हो चुका है. झामुमो की राजनीति शुरू से ही झारखंड और आदिवासी के इर्द गिर्द ही रही है. इस सबके बीच राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि हूल दिवस से एक दिन पूर्व ही अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष शिवाजी राव मोगे और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू दुमका पहुचे. कांग्रेस भवन में नेता द्वय ने प्रेस वार्ता की. प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू ने कहा कि कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए बहुत कुछ किया लेकिन पार्टी उसका लाभ नहीं ले पायी. प्रदेश में आदिवासी की आबादी बहुत अधिक है. पहले यहां कांग्रेस बहुत मजबूत थी, लेकिन धीरे धीरे कमजोर हो गए. लोक सभा चुनाव में अभी 8 महीने शेष है. प्रयास है कि बिछड़े हुए साथी को फिर से एक किया जाए.
कांग्रेस की बड़ी-बड़ी जीत में आदिवासियों का योगदान
वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोगे ने प्रेसवार्ता की शुरुवात हूल विद्रोह के नायक सिदो कान्हू को नमन के साथ किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने ना केबल वर्तमान झारखंड में बल्कि कई राज्यों में स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुवात की लेकिन इतिहास के पन्नो पर जो जगह मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली. उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब आदिवासी पूरी ताकत के साथ कांग्रेस के साथ खड़ा था. कांग्रेस की बड़ी-बड़ी जीत में आदिवासियों का योगदान रहा है, लेकिन वर्तमान समय में भाजपा, आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहकावे में आकर आदिवासी अलग-अलग खेमे में बंट गए हैं. अब समय बदल रहा है. एक बार फिर आदिवासी कांग्रेस के साथ आ रहे हैं. कर्नाटक चुनाव परिणाम इसका उदाहरण है, जहां सुरक्षित 15 सीट में से 14 सीट पर कांग्रेस ने विजय पताका फहराया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने तीन में से दो जगह पर आदिवासी प्रत्याशी की जीत हुई है. इसका कारण है कि कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए जो किया है वह कोई और नहीं कर सकता. करोड़ों लोगों को आवास मुहैया कराना हो या भूमि सुधार से संबंधित कानून बनाना, लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा जैसी योजना हो या फिर खाद्य सुरक्षा कानून लाना सभी कांग्रेस की देन है.
लोग आज भी आदिवासी को कहते हैं वनवासी
प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने लोक लुभावने वायदे भी किए. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षित हो या अशिक्षित सभी को रोजगार मिलनी चाहिए और आगे चलकर कॉन्ग्रेस इसके लिए प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि आज भी लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं लेकिन यह शब्द हमें मंजूर नहीं. इसलिए जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो इस शब्द को कानूनन प्रतिबंधित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी का रिजर्वेशन 3% और बढ़नी चाहिए. आदिवासियों के हित के लिए फंड है लेकिन वह खर्च नहीं हो पाता है. फंड लैप्स ना हो इसके लिए कांग्रेस का यह प्रयास रहेगा की प्राइवेट लोगों से जमीन खरीद कर भूमिहीन आदिवासियों के बीच उसे बांटे, क्योंकि अब सरकार के पास तो कोई जमीन रही नहीं.
झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन
अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोगे की प्रेसवार्ता से एक सवाल खड़ा होता है. वर्तमान समय में राज्य में कांग्रेस झामुमो के सहारे सत्ता सुख भोग रही है. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से लोहा लेने के लिए नए मोर्चा के गठन की कबायद चल रही है. पटना में आयोजित बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी शरीक हुए थे. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात हो रही है। इसके बाबजूद प्रेसवार्ता के दौरान अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कांग्रेस को आदिवासी का सबसे बड़ा हितैसी करार देकर लोक लुभावने वायदे किए उसे देख कर तो नहीं लगता कि कांग्रेस और झामुमो एक मंच पर आकर चुनाव लड़े. क्योंकि वर्तमान समय में झामुमो का वोट बैंक आदिवासी है. समय समय पर भाजपा उसमें सेंधमारी करने में सफल होकर सत्ता के शिखर तक पहुचती है. आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान से स्पष्ट है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस भी आदिवासी वोट में सेंध लगाने के प्रयास में जुट गयी है. इसका खामियाजा झामुमो को भुगतना पड़ सकता है. इस स्थिति में अगर झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन हो भी जाता है तो उसकी गांठ कितनी मजबूत होगी यह आने वाला समय ही बताएगा.
रिपोर्ट:पंचम झा