धनबाद(DHANBAD): झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानो पर 30 घंटों से अधिक समय तक चली ईडी की छापेमारी खत्म हो गई है. इस छापेमारी में दो करोड़ रुपए से अधिक नकदी के अलावा 6 करोड़ रुपए के एफडी और निवेश के कागजात टीम के हाथ लगने की बात कही जा रही है. धनबाद में कुल आठ से 10 जगहों पर छापेमारी की गई. इस छापेमारी से कोयलांचल में इस बात की चर्चा खूब चल रही है कि कौन कारोबारी मकड़ी की जाल की तरह किसके साथ कारोबार कर रहा है,एक चेहरे में कितने चेहरे छुपे हुए है , इसका खुलासा हो सकता है. धनबाद के कारोबारी केवल बिहार, बंगाल ही नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेशों के कारोबारियों के साथ भी साझेदार है. यह बात अलग है कि पैसा इनका होता है और कारोबार कोई और करता है. कोयले के धंधे की ही बात कर ली जाए तो कोयले में इस तरह के काम खूब होते है. रियल स्टेट के धंधे में भी यह काम चल रहा है और हो सकता है कि इस छापेमारी के बाद कई कारोबारियों के रियल स्टेट में भी पैसा निवेश का खुलासा हो. बालू के मामले तो परत दर परत खुल ही रहे है.
55 लाख का सिंगल ट्रांजैक्शन बना हुआ है रहस्य
धनबाद में भी कारोबारियों के ठिकाने से नगदी बरामद हुए है. 55 लाख का सिंगल ट्रांजैक्शन रहस्य बना हुआ है. यह अभी साफ नहीं हुआ है कि यह ट्रांजैक्शन फ्लैट बुकिंग के लिए किया गया था अथवा रियल स्टेट में इन्वेस्ट किया गया है. इस तरह के कुछ अन्य मामले भी सामने आए है. हो सकता है कि जांच आगे बढ़ने पर वैसे मामले खुलते चले जाए. कुछ और राजनीतिक लोग भी बेनकाब हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं. लेकिन धनबाद में पहली बार ईडी के प्रवेश से तहलका तो मचा हुआ है. धनबाद कोयलांचल में अभी कोयले का अवैध कारोबार परवान पर है. ऐसे में ईडी फिर दोबारा किसी केस को लेकर धनबाद लौट जाए तो कोई आश्चर्य नहीं. क्योंकि धनबाद के कारोबारियों की जड़ तो कोयलांचल में है लेकिन टहनियां कई दूसरे व्यवसाय और दूसरे क्षेत्रों में फैली हुई है. वैसे ईडी की टीम छापेमारी करने के बाद लौट गई है.
पटना में हो सकता है बयान दर्ज
अब धनबाद के बालू के करोबारियों का विधिवत बयान दर्ज होगा. हो सकता है कि इनका बयान पटना में दर्ज किया जाये. उनसे सवाल पूछे जा सकते हैं कि अवैध बालू खनन में उनकी भूमिका क्या है. पार्टनर और मददगार के बारे में विस्तृत जानकारी पूछी जा सकती है. जिन जगहों पर नकदी बरामद की गई है , उसका डिटेल्स भी पूछा जा सकता है. बालू के अवैध खनन से कितने की आमदनी हुई है, कौन-कौन लोग इसमें साझेदार हैं, किनकी अप्रत्यक्ष भूमिका है, इन सब के सवाल खड़े होंगे. कई डीवीआर टीम अपने साथ ले गई है. निश्चित रूप से इसे जानने का प्रयास होगा कि कौन लोग आते जाते रहे है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में बालू के अवैध खनन के तार कोयलांचल से किस रूप में जुड़े हुए हैं, इसका खुलासा आगे हो सकता है और मुखौटा बने कई लोगों के चेहरे पर से नकाब उठ सकता है , लेकिन इसके लिए समय का इंतजार करना होगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो