रांची (RANCHI)) : लोकसभा चुनाव 2024 के रण में बड़े-बड़े महारथी उतर चुके हैं. चुनाव के मैदान में विभिन्न पार्टी के प्रत्याशी भी अपनी ताकत झोक दी है. चुनाव में किसे मिलेगी जीत और किसे मिलेगी हार ये तो परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन झारखंड के 14 सीटों पर जीत के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन के नेता मैदान में कूछ पड़े हैं. हर किसी की नजर इन सीटों पर है. खासकर इंडिया गठबंधन में शामिल झामुमो और कांग्रेस के नेताओं गर्मी में अपना खूब पसीना बहा रहे हैं.
दरअसल, झारखंड आदिवासी बहुल इलाका है. यहां के पांच सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है. वहीं अभी हाल में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व आदिवासियों के बड़े नेता हेमंत सोरेन कथित जमीन घोटाले मामले में जेल में बंद है. इसलिए कांग्रेस और झामुमो ज्यादा ताकत के साथ चुनाव के मैदान में है, ताकि किसी तरह का नुकसान गठबंधन को नहीं उठाना पड़े. इसके लिए पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. कांग्रेस ये चाह रही है कि मतदाताओं को ये ना लगे कि हेमंत सोरेन जेल में है, जिसके वजह से इंडिया गठबंधन कमजोर हुआ है. पार्टी के आदिवासी नेताओं को विशेषकर इन क्षेत्रों में प्रचार के लिए लगाया गया है.
हेमंत सोरेन के जेल में होने का इंडिया गठबंधन बनायेगी मुद्दा
इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन रणनीति के तहत काम कर रही है. कहा जा रहा है कि झारखंड के सभी लोकसभा क्षेत्र में पार्टी इस बात को मुद्दा बनाएगी कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गलत तरीके से जेल में डाला गया है. इसके लिए देश के अन्य हिस्सों से भी आदिवासी नेताओं को प्रचार-प्रसार के लिए बुलाएगी. कांग्रेस अपने प्रत्याशी के साथ-साथ इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के उम्मीदवार के प्रचार में इसे मुद्दा बनाएगी. इसके माध्यम से आदिवासी मतदाताओं को अपने झोली में मत डालने का प्रयास होगा.
इन नेताओं को दी गयी है बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस पार्टी ने आदिवासी मतदाताओं को एकजुट करने के लिए मंत्री रामेश्वर उरांव, लोहरदगा प्रत्याशी सुखदेव भगत, बंधु तिर्की सहित अन्य नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. वहीं स्टार प्रचारकों को भी जिम्मेदारी दी गयी है वो भी प्रचार के दौरान हेमंत सोरेन के मुद्दा को जोर-शोर से उठाएं, ताकि मतदाताओं को अपने पाले में कर सके. साथ ही सरना धर्म कोड भी शामिल है. जिसे भुनाने में पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी. क्योंकि सरना धर्म को विधानसभा में पारित कर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज चुकी है जो अभी भी लंबित है. वहीं मणिपुर में आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने का मामला भी उठाएगी. बता दें कि आने वाले चुनाव में इन्हीं सब मुद्दों को लेकर इंडिया गठबंधन के नेता जनता के बीच जायेगी. वहीं बीजेपी ने भी आदिवासियों को लुभाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है, देखना होगा कि इस चुनाव कौन कितना मतदाताओं को लुभा पाती है. क्योंकि इस बार झारखंड में मुकाबाला कडा देखने को मिलेगा.