टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-अगर किसी का आशियाना है, यानि रहने की छत है तो फिर आधी मुश्किल जिंदगी की खत्म हो जाती है. ऐसा माना और कहा जाता रहा है. सर्दी, गर्मी और वर्षा में घर की अहमियत समझ में आती है. खासकर, मुफलिसी और फाकाकाशी की जिंदगी काट रहे जानजातिए सूमह के लोगों के लिए तो घर बनाना ही पहाड़ सरीखी चुनौती हो जाती है. पूरी उम्र निकल जाती है एक घर बनाने में, फिर भी गरीबों के लिए ये संभव नहीं हो पाता है. आज घर हर किसी के लिए जरुरत है.
बिरसा आवास योजना
झारखंड सरकार लगातार राज्य के आदिवासियों और जनजातीय समूह के लोगों के लिए अपनी योजनाओं से उनकी जिंदगी बदलने के लिए तत्पर रहती है. राज्य के अति कमजोर जानजातीय समूह के शत-प्रतिशत यानी सौ फीसदी परिवारों को आवास की सुविधा हो. इसके लिए बिरसा आवास योजना संचालित की है. इस योजना कार्यान्वयन लाभुक समूह के माध्यम से कराया जा रहा है. इसके तहत 1.1315 लाख रुपए की दर से प्रति इकाई आवास की स्वीकृति प्रदान की जाती है. प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर इन योजनाओं को समय पर पूरा करने के मकसद से पंचायत स्वयंसेवक या स्वंय सहायता समूह को प्रति आवास 50000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
सरकार द्वारा इस बिरसा आवास योजना के संचालित करने से कई अति कमजोर जनजातीय समूह को फायदा मिला है. जिसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका अपना घर होगा. सरकार की इस योजना से उनकी ख्वाहिश पूरी हुई औऱ आज अपने घर में रह रहे हैं. एक सच्चाई ये भी है कि बहुत सारे लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. लिहाजा, बिरसा आवास योजना के प्रचार के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकते हैं.