धनबाद(DHANBAD) : कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF0 )का अस्तित्व ही खत्म करने की मांग अब उठ गई है. कोल माइंस पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद ने कहा है कि हमारी मांग है कि सीएमपीएफओ को कोल इंडिया लिमिटेड में विलय कर दिया जाए और अंशदाता की पेंशन आदि की व्यवस्था कोल इंडिया लिमिटेड करे. इस प्रकार करने से अंशदाता की जमा राशि का 4% प्रशासनिक खर्च भी बचेगा और अंशदाताओं को राशि भी समय पर मिल जाएगी. उन्होंने कहा है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था.
संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था
संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. अपेक्षित कार्य करने में असमर्थ हो गया है. अंशदाता का कोई काम नहीं हो पा रहा है. हाल ही में संपन्न हुई ट्रस्टी बोर्ड के बैठक में कोयला मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा तह कि पेंशन जारी रखना और भरपाई नियोक्ता की जिम्मेवारी है. ऐसे में CMPF0 की कोई उपयोगिता नहीं है. कोयलांचल सहित समूचे कोयला उद्योग के कोयलाकर्मी सवाल कर रहे हैं कि-हम लोगों के साथ आखिर भेदभाव क्यों ? उन लोगो ने तो प्रकृति के खिलाफ काम कर राष्ट्र की सेवा की है. उन्हें जहां तरजीह मिलनी चाहिए, वहां उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.
ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारियों के लिए आधुनिक सुविधा मुहैया कराई जा रही
ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारियों के लिए आधुनिक सुविधा मुहैया कराई जा रही है. तो कोयलाकर्मियों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है. बता दें कि ईपीएफओ अब बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने जा रहा है. खाता धारकों को एटीएम की सुविधा देने की तैयारी है. वही कोयलाकर्मियों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़े सीएमपीएफओ (कोयला खदान भविष्य निधि संगठन) अभी तक पूरी तरह से ऑनलाइन तक नहीं हुआ है. इसका हेड ऑफिस धनबाद में है. बोर्ड की बैठक में कई बार यह मामला उठा, लेकिन आज भी इससे जुड़े कोयलाकर्मियों को पूरी तरह से ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध नहीं है. अभी कई स्तरों पर उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है. सीएमपीएफओ से लगभग 5 लाख से अधिक पेंशनर जुड़े हुए है. चार लाख पीएफ खाता धारक भी है. नवंबर महीने में भी यह मामला जोर-शोर से उठा था. अभी तक पेंशन पे आर्डर(पीपीओ) का मुद्दा भी बना हुआ है.
लगातार कोयला कर्मियों को हो रही परेशानी
इस कारण विधवा पेंशन मतलब-पेंशनर की मौत हो जाने पर पत्नी की पेंशन तुरंत चालू नहीं हो पा रही है. रिकॉर्ड में गड़बड़ी की बात कह कर उसे टाल दिया जाता है. परेशानी यह होती है कि सीएमपीएफओ के पास जो आंकड़े उपलब्ध है,और कोयला मैनेजमेंट जो आंकड़े देता है. वह मेल नहीं खाते. इस वजह से काम पेंडिंग हो जाता है. बता दें कि रोजगार मंत्रालय के आदेश पर ईपीएफओ अपने सिस्टम को केंद्रीयकृत करने का काम इस महीने के अंत तक पूरा कर लेगा. इसके बाद फरवरी से नाम में गलती या अन्य किसी वजह से पीएफ खाते से धनराशि निकालने में परेशानी नहीं होगी. यह भी जानकारी है कि मई-जून तक ईपीएफओ का सारा सिस्टम बैंकिंग की तरह काम करना शुरू कर देगा. ईपीएफओ अपने आईटी सिस्टम 3-0 पर भी काम कर रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य खाता धारकों की फंड तक पहुंच आसान बनाना और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना है. इसके पूरा होने के बाद ईपीएफओ बैंकिंग सिस्टम की तर्ज पर काम करने लगेगा. आपात स्थिति में आवश्यकता होने पर सदस्य एक निश्चित धनराशि की निकासी कर सकते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो