धनबाद(DHANBAD) : देश के कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया के उत्पादन में इस महीने 40 से 50% तक गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन अभी भी कोयला कंपनियों के पास मजबूत कोयला स्टॉक है. इस वजह से बिजली संकट होने की उम्मीद नहीं है. एक आंकड़े के मुताबिक 5 अगस्त 2024 तक कोल इंडिया के पास 73 मिलियन टन और पावर प्लांटों के पास 42 मिलियन टन कोयले का स्टॉक है. इस कारण उम्मीद की जाती है कि कोयले की कमी से बिजली संकट की स्थिति पैदा नहीं होगी. हालांकि पावर प्लांटों को कोयले की कमी नहीं हो, इसको ध्यान में रखते हुए उत्पादन का लगभग 81 प्रतिशत कोयला पावर प्लांटों को ही जाता है. केवल 19% कोयला अन्य सेक्टर को दिया जाता है.
अगस्त महीने की बारिश ने बिगाड़ा है कैलकुलेशन
अगस्त महीने की शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश हुई है. इस वजह से कोयला कंपनियों का उत्पादन ग्राफ नीचे आया है. एक आंकड़े में यह भी बताया गया है कि दो और 3 जुलाई को बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल में 70 से 80% तक कम कोयले का प्रोडक्शन हुआ है. अमूमन बरसात के दिनों में कोयले का उत्पादन कम होने से पावर प्लांटों का स्टॉक कम जाता है और फिर पूरे देश में बिजली के लिए हाहाकार मच जाता है. लेकिन इस साल ऐसी स्थिति की संभावना नहीं दिख रही है. हाल के वर्षों में पावर प्लांटों को कोयला सप्लाई की मात्रा बढ़ा दी गई थी. 81 प्रतिशत कोयला पावर प्लांटों को जाता है, लेकिन इन पावर प्लांटों की शर्त पर दूसरे उद्योग कच्चे माल के लिए परेशान होते है.
धनबाद के लोकल उद्योगों को नहीं मिलता जरुरत भर कोयला
धनबाद की ही अगर बात की जाए तो धनबाद को कोयला राजधानी कहा जाता है. कोयला राजधानी है भी, लेकिन यहां के स्थानीय उद्योगों को कोयला जरुरतभर नहीं मिल पाता, नतीजा होता है कि कोयले पर आधारित स्थानीय उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच गए है. इससे बेरोजगारी भी बढ़ी है. धनबाद में एक समय में लगभग सवा सौ उद्योग चलते थे, लेकिन आज उनकी संख्या घटकर 25 से 30 के आसपास रह गई है. इन उद्योगों में निजी मालिकों का करोड़ों-करोड़ का पूंजी फंसी हुई है. यह उद्योग रेगुलर प्रोडक्शन सिस्टम से चलते है. उद्योगों को जिंदा रखने के लिए भी कोयले की जरूरत पड़ती है, लेकिन पावर प्लांट की शर्त पर इन उद्योगों को जरुरत भर कोयला मिलता नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो