धनबाद(DHANBAD) : कोल इंडिया में रोज कुछ ना कुछ नई योजनाएं लॉन्च हो रही है. एक तरफ कंपनी निजी हाथों की ओर बढ़ रही है तो दूसरी ओर कर्मियों की संख्या लगातार कम रही है. कोयला खदानों में आउटसोर्स कंपनियों के बढ़ते प्रभाव की वजह से नई-नई स्कीम लॉन्च की जा रही है. फिलहाल कोल इंडिया ने सरप्लस नन एग्जीक्यूटिव मैनपॉवर को जरूरत के अनुसार दूसरी कंपनियों में भेजने के लिए इंसेंटिव स्कीम लॉन्च किया है. इस स्कीम के तहत दूसरी कोयला कंपनी में जाने के इच्छुक सरप्लस मैनपॉवर को एक लाख का भुगतान मिलेगा. अगर धनबाद कोयलांचल की बात की जाए, तो बीसीसीएल में लगभग सात हज़ार सर प्लस मैनपॉवर है. इन 7 000 मैनपॉवर को दूसरी कंपनियों में शिफ्ट करने की बीसीसीएल की योजना है. मैनपॉवर बजट के अनुसार जो भी सर प्लस कर्मी है, अगर दूसरी कोयला कंपनी में, जहां कर्मियों की जरूरत है. जाने को तैयार होते हैं तो इंसेंटिव स्कीम के तहत एक लाख ट्रांसफर बेनिफिट के रूप में मिलेगा. शर्त होगी कि 5 साल तक फिर स्थानांतरित कर्मियों का अन्य किसी कंपनी में तबादला नहीं होगा. फिलहाल कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड में 2208 एग्जीक्यूटिव है.
बीसीसीएल में 31632 नॉन एग्जीक्यूटिव कार्यरत है
इसी तरह बीसीसीएल में 1907 और सीसीएल में 2168 एक्सक्यूटिव है. वहीं अगर नॉन एग्जीक्यूटिव की बात की जाए तो ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड में 46236 कर्मी है ,तो बीसीसीएल में 31632 नॉन एग्जीक्यूटिव कार्यरत है. सीसीएल में 31804 है.मजदूर संगठन भी यह मानते है कि आउट सोर्स कंपनियों की डोर पकड़कर कोल् इंडिया अब निजी हाथों की ओर बढ़ रही है. 50 सालों से अधिक समय के बाद झरिया और रानीगंज की बंद 23 खदानों को निजी हाथों में सौंप दिया गया है. और भी सौपें जाने की तैयारी चल रही है. जानकारी निकल कर आ रही है कि कोल इंडिया व बंद पड़ी कोयला खदानों से राजस्व बढ़ाने के लिए इन बंद पड़ी 23 भूमिगत खदानों को निजी हाथों में दे दिया है. असुरक्षित या अधिक खनन खर्च की वजह से कोल इंडिया इन कोयला खदानों को राजस्व साझेदारी या माइंस डेवलपर एंड ऑपरेटर मोड पर चलाने को दी है. इन 23 खदानों में अधिकतर खदान देश के सबसे पुराने खनन क्षेत्र झरिया और रानीगंज की माइंस है. कहने को तो कोल इंडिया की मनसा घरेलू कोयले का उत्पादन बढ़ाने और राजस्वृद्धि का है. यह बात भी सच है कि झरिया और रानीगंज की पुरानी बंद खदाने कुछ जटिल प्रकृति की है. कुछ खदानें तो गैसीय भी है. कोल इंडिया की ओर से चिन्हित की गई 23 खदानों के साथ ऐसा किया गया है.
कुल सालाना क्षमता 3.414 करोड़ टन निर्धारित
इनमें अधिकांश खदाने भूमिगत यानी अंडरग्राउंड माइन्स है. इन खदानों की कुल सालाना क्षमता 3.414 करोड़ टन निर्धारित किया गया है. जबकि इन खदानों से खनन के लिए भंडार 63.5 करोड़ टन होने का अनुमान है. कोल इंडिया धीरे-धीरे अब निजीकरण की ओर बढ़ रही है. 5 साल में 90% के लगभग अगर यह सब व्यवस्था चली जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं है. सूत्र बताते हैं कि कोल इंडिया कुल 34 खदानों को चिन्हित किया है. जिनसे उत्पादन नहीं हो रहा था , लेकिन वहां अच्छी गुणवत्ता का कोयला है. कोल इंडिया यह मानकर चल रही है कि इन कोलियरियों से प्रोडक्शन उत्पादक कंपनी के लिए फायदे का सौदा नहीं हो सकता है. इसलिए, प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है. इन 34 खदानों में ईसीएल की और भारत को किंग कोल् लिमिटेड की 10-10 खदानें है. वेस्टर्न कोलफील्ड के पास पांच, साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड के पास चार , महानदी कोलफील्ड लिमिटेड के पास तीन और सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड के पास दो खदानें है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो