धनबाद (DHANBAD): कोयला उद्योग से जुड़े पेंशनरों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. फिलहाल आर्थिक संकट का खतरा टलता दिख रहा है. बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज को भी कोल इंडिया की ओर से जानकारी दे दी गई है कि कोल इंडिया पेंशन फंड में₹10 प्रति टन को बढ़ाकर ₹20 कर दिया गया है. इससे इतना तो तय है कि पेंशन फंड पर वित्तीय संकट अभी टल गया है. कोल इंडिया मैनेजमेंट ने स्टॉक एक्सचेंज को भी इसकी सूचना दे दी है. इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी. सीएमपीएफओ बोर्ड की पिछली बैठक में इस पर सहमति बनी थी.
कमेटी की अनुशंसा पर हुआ है फैसला
इसके लिए कोयला मंत्रालय के अपर सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी. कमेटी की अनुशंसा पर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की मुहर लगने के बाद कोल इंडिया ने ₹10 प्रतिदिन बढ़ाकर ₹20 प्रतिदिन पेंशन फंड में देने का निर्णय लिया था. यह निर्णय 16 अप्रैल 2025 से लागू होगा. कोल इंडिया पेंशन फंड में सितंबर 2020 से ₹10 प्रति टन देती आ रही है. कोल इंडिया लगभग 781 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करती है. अनुमान है कि ₹20% के सहयोग से सीएमपीएफओ को एक वित्तीय वर्ष में डेढ़ हजार करोड रुपए मिल सकते है.
असर होगा कि कोयले का भी बढ़ सकता है दाम
इससे कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में उत्पादित कोयल पर कोयले की कीमत ₹10 प्रति टन बढ़ सकती है. फिलहाल कोल इंडिया के कर्मियों के पीएफ मद में 12% तथा पेंशन फंड में 7% राशि काटी जाती है. जबकि कोल इंडिया भी पीएफ मद में 12 फ़ीसदी तथा पेंशन में 7 फ़ीसदी राशि देती है. मौजूदा समय में पेंशनरों की संख्या 6 लाख 22 हजार है, जबकि अंशदान करने वाले की संख्या घटकर 3 लाख 25 हज़ार हो गई है. पहले अंशदान करने वालों की संख्या 8 लाख थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में पेंशन फंड में 18000 करोड रुपए जमा है. पेंशन फंड में हर साल जमा पूंजी से निकलकर 300 से 400 करोड रुपए का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है. इधर, देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन बढ़ता गया और कोयलाकर्मियों के लिए बनी कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (सीएमपीएफ) पर ब्याज दर लगातार घटती गई. कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है.
2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था.
दरअसल, 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था. जो घटते- घटते अब 2025 में 7.6 0% हो गया है. 2024 में भी 7.6 0% ही था. जबकि उसके पहले के वर्ष में अधिक था. बता दें कि कोयलाकर्मियों को प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होता है. इसके अध्यक्ष कोयला सचिव होते है. ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके मनोनीत प्रतिनिधि होते है. ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है. इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है. यही वजह है कि यूनियन के बहुत विरोध का असर बैठक में नहीं हो पाता
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो