धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियां के पास लाखों ऐसे क्वार्टर मौजूद हैं , जिनमें कोई कंपनी कर्मी नहीं रहता है. एक आंकड़े के अनुसार इनमें से एक लाख से अधिक क्वार्टर पर अवैध कब्जा है. आने वाले वक्त में जिस रफ्तार में कर्मियों की संख्या घट रही है, उससे ऐसा लगता है कि और भी अधिक क्वार्टर खाली होंगे. जैसे-जैसे कोयला कंपनियों में मैनपावर की संख्या घट रही है, सर प्लस क्वार्टरों की संख्या बढ़ रही है. अब कंपनी की यह चिंता है कि इन आवासों का उपयोग कैसे किया जाए. आउटसोर्स कंपनी का दबदबा कोयला उद्योग में बढ़ रहा है और स्थाई कर्मियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
कोल इंडिया मैनजमेंट भी चाहता है कि कोई रास्ता निकले
ऐसे में कोल इंडिया लिमिटेड कोई ना कोई रास्ता निकालने के प्रयास में है. वैसे, कोल् इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों के सेवानिवृत कर्मियों की नजर 28 अगस्त को दिल्ली में हो रही आवास आवंटन कमेटी की बैठक पर टिक गई है. इसमें सेवानिवृत कर्मियों को कोयला कंपनियों के पास मौजूद सर प्लस आवास आवंटन की नीति पर चर्चा हो सकती है. ट्रेड यूनियन की ओर से सरप्लस आवास को सेवानिवृत कर्मियों को एक नीति बनाकर आवंटित करने की मांग लंबे समय से उठ रही है. अब तक कोयला कंपनियों में सेवानिवृत कर्मियों को आवास आवंटन का कोई प्रावधान नहीं था. कोल इंडिया इस लाइन पर विचार कर रही है कि कोयला कंपनियों के आवास पर अवैध कब्जा से बेहतर है कि कोई ना कोई ठोस नीति बनाकर सेवानिवृत कर्मियों को इसे दे दिया जाये. यह बात भी सच है कि 28 अगस्त को पहली बार इस पर कोई विचार हो सकता है.
ट्रेड यूनियन नेताओं के सामने आ सकता है फैक्ट्स
बैठक में यह हो सकता है कि कोयला कंपनी अपने आवासों की वर्तमान स्थिति से ट्रेड यूनियन नेताओं को अवगत कराये और उसके बाद नीति पर कोई चर्चा हो. लंबे समय से रिटायर्ड कोल कर्मियों को सरप्लस आवास लीज या किराए पर देने की मांग उठती रही है. इस मांग के बाद कोल इंडिया मैनेजमेंट ने कमेटी भी गठित की है. सूत्र बताते हैं कि इसकी बैठक जून महीने में हुई थी, लेकिन प्रबंधन ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये , उस पर यूनियन को आपत्ति थी. यूनियन की मांग थी कि अगली मीटिंग की तिथि निर्धारित की जाए और उसमें सही आंकड़ा दिया जाए. अब जानकारी निकल कर आ रही है कि सेवानिवृत कर्मचारियों को आवास आवंटित करने के लिए गठित कमेटी की दूसरी बैठक होने जा रही है. कोल इंडिया और अनुषंगी कंपनियां के आवासों पर गैर कर्मियों का कब्जा है. यह बात आईने की तरह साफ है. कुछ पर तो रिटायर्ड कोल कर्मी भी कब्जा जमा कर बैठे हुए है.
सबसे अधिक आवासों पर कब्जा सीसीएल में है
एक आंकड़े के मुताबिक सबसे अधिक आवासों पर कब्जा सीसीएल में है. बताया गया है कि 19000 से अधिक आवासों पर गैर कर्मी , जबकि 2600 से अधिक आवासों पर रिटायर्ड कोल कर्मियों का कब्जा है. धनबाद में संचालित बीसीसीएल की बात की जाए तो यह संख्या 8000 को पार करती है. ईसीएल में तो 15000 से अधिक आवासों पर बाहरी लोगों का कब्जा है. दरअसल, कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए आवासों का निर्माण कराया गया था. लेकिन कर्मचारी घटते गए, नई नियुक्तियां नहीं हुई. नतीजा हुआ कि निर्मित आवास की उपयोगिता कम होने लगी. आवासों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो गया, तो बहुत से आवासों पर रिटायर्ड कर्मी जमे रहे. यह भी बात सच है कि बहुत सारे आवास खंडहर में तब्दील हो गए है. उनकी मरम्मत नहीं होती है. धनबाद की भूली में बड़ी कॉलोनी बनी थी. इस कॉलोनी का हाल भी आज बेहाल है. यहां तो एक प्रथा सी चल गई है कि जो लोग आवास पर कब्जा करते हैं, वह दूसरों से पैसा लेकर दूसरे को देते है. अब देखना है कि कंपनी स्तर पर क्या नियम बनते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो