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CMPFO: नए फंड मैनेजरों पर संगठन की आय बढ़ाने की जिम्मेवारी, पढ़िए फंड मैनेजर कैसे करेंगे काम

CMPFO: नए फंड मैनेजरों पर संगठन की आय बढ़ाने की जिम्मेवारी, पढ़िए फंड मैनेजर कैसे करेंगे काम

धनबाद(DHANBAD): सीएमपीएफओ यानी कोयला खान भविष्य निधि संगठन में कथित रूप से डूबे  727 करोड़ रुपए से अधिक का मुद्दा अभी भी सवाल बना हुआ है.  दूसरी ओर गुरुवार को नई दिल्ली में हुई बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में फंड मैनेजर के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया को नामित करने पर मुहर  लगी.  सूत्रों के अनुसार दोनों फंड मैनेजर 50 -50% निवेश करेंगे.  कहा जाता है कि इसके अलावा बैठक में कुछ खास नहीं हुआ.  बैठक की अध्यक्षता कोयला सचिव ने की.  बैठक में सीएमपीएफओ के आयुक्त ,एडिशनल सेक्रेटरी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.  मतलब अब भारतीय स्टेट बैंक और यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया सीएमपीएफओ के फंड को मजबूत करेंगे.  हाल के दिनों में सीएमपीएफओ काफी चर्चे में रहा है. देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन बढ़ता गया और कोयलाकर्मियों के लिए बने  कोयला खान भविष्य निधि संगठन  में  ब्याज दर लगातार घटती गई.  कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है. 

2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था

 दरअसल, 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था.  जो घटते- घटते अब 2025 में 7.6 0% हो गया है. 2024 में भी  7.6 0% ही था. जबकि उसके पहले के वर्ष में अधिक था. बता दें कि कोयलाकर्मियों को प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले  ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होता है.  इसके अध्यक्ष कोयला सचिव होते है.  ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके मनोनीत प्रतिनिधि होते है.  ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है.  इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है.  यही वजह है कि यूनियन के बहुत विरोध का असर बैठक में नहीं हो पाता .  कोयलाकर्मियों के मूल वेतन से 12 फ़ीसदी राशि कटती  है.  उतनी प्रतिशत राशि कोयला कंपनिया  देती है. बताया जाता है कि सरकार कोयलाकर्मियों का पैसा शेयर में लगाती  है.  मजदूर संगठन इसका विरोध करता रहा है.  शेयर में पैसा डूबने का असर कोयलाकर्मियों की आय  पर पड़ता है.  यही वजह है कि एक समय 12% तक ब्याज मिलता था, जो आज घटकर 7.60% हो गया है. 

कोयलाकर्मियों की उम्मीद पर 2025 में तुषारापात  हो गया
 
बता दे कि कोयलाकर्मियों की उम्मीद पर 2025 में तुषारापात  हो गया .  वित्तीय वर्ष 24- 25 में भी उनके प्रोविडेंट फंड पर 7.6 प्रतिशत ही ब्याज निर्धारित हुआ, जबकि सूद की दर बढ़ने की उनको उम्मीद थी. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF0 )का अस्तित्व ही खत्म करने की मांग अब उठने लगी है.   कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था. संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:18 Apr 2025 07:24 AM (IST)
Tags:DhanbadCMPFOFund ManagerIncomeSBI UTI
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