लोहरदगा (LOHARDAGA) : लोहरदगा शहरी क्षेत्र का बालिका मध्य विद्यालय में एक से आठवीं तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में पढ़ने वाली अधिकांश छात्राएं मिड-डे मील (MDM) नहीं खाना चाहती है. इनका कहना है कि कुडू प्रखंड के चिरी गांव में बनाए गए सेंट्रलाइज्ड किचन से आने वाला खाना स्वादिष्ट नहीं होता है. साथ ही इसमें हरी सब्जियों का अभाव रहता है. बासी सब्ज़ी तो मिलती ही है लेकिन दाल और चावल भी इन्हें बेहतर क्वालिटी का नहीं मिलता. ऐसे में इस विधालय की कई छात्राएं एमडीएम नहीं खाना चाहती हैं. इनका कहना है कि इस भोजन को करने से पेट दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में ये इस मिड-डे मील (MDM) को खाने से बचते हैं. हालांकि इनका कहना है कि पहले का भोजन ज्यादा स्वादिष्ट, पौष्टिक और बेहतर होता था.
जिला शिक्षा अधीक्षक ने जताई चिंता
पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक अपरूपा पॉल चौधरी ने गंभीरता जताया है. इनका कहना है कि पहले प्रतिदिन मिड-डे मील (MDM) में शिकायतें मिलती थी, लेकिन इनके द्वारा प्रतिदिन किए जा रहे जांच और डीसी के द्वारा गंभीरता दिखाए जाने के बाद स्थितियों में सुधार हुआ है.
मध्यान भोजन का उद्देश्य
बता दें कि मध्यान भोजन का उद्देश्य बच्चों को अधिकाधिक संख्या में विधालय से जोड़ने का था, लेकिन यह कभी शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बना तो कभी बच्चों के लिए. अब देखना है आने वाले समय में एमडीएम क्या नया गुल खिलाती है. या फिर ये अपने उद्देश्य में खरा उतर पाती है कि नहीं. यह आने वाला वक्त ही बताएगा.
रिपोर्ट : गौतम लेनिन, लोहरदगा