☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. News Update

 छठी मइया : शारदा सिन्हा के पहले स्वर कोकिला पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी ने अपने होने का एहसास कराया था, जानिए उनके बारे में

 छठी मइया : शारदा सिन्हा के पहले स्वर कोकिला पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी ने अपने होने का एहसास कराया था, जानिए उनके बारे में

धनबाद(DHANBAD): सड़क, बाजार और घरों में छठ के गीत गूंज रहे है. गीतों से पर्व की महिमा का बखान हो रहा है. गीतों की मधुर ध्वनि लोगों को ठिठक  कर सुनने को मजबूर कर रही है.  लेकिन क्या यह कोई जानता है कि महापर्व के गीत के लिए लोगों ने कितना संघर्ष किया. बिहार की स्वर कोकिला पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके रचित गीत आज भी उनके होने का एहसास दिलाते है. पद्मश्री बिहार स्वर कोकिला विंध्यवासिनी देवी का जन्म 1920 में मुजफ्फरपुर में हुआ था. उसे समय गीत गाना महिलाओं के लिए कोई हंसी ठिठोली नहीं थी, बावजूद विंध्यवासिनी देवी ने सामाजिक और पारिवारिक बंदिशें से लड़ते हुए गायकी में एक मुकाम हासिल किया. मुजफ्फरपुर में नानी के घर जन्मी विंध्यवासिनी देवी का लालन पालन और प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में ही हुई थी. कम उम्र में शादी होने के बाद 1945 में वह पटना आ गई. 

विंध्यवासिनी देवी 1948 में पटना आकाशवाणी से जुड़ी थी 
 
गीतों के साथ रसते-बसते रहने के कारण विंध्यवासिनी देवी 1948 में पटना आकाशवाणी से जुडी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.  इस दौरान उन्होंने कई छठ गीतों के साथ अन्य गीतों की रचना की और अपनी आवाज का जादू बिखेरा. कहा जा सकता है कि आजादी के बाद से लेकर 1978 तक छठ के  गीतों में पद्मश्री लोक गायिका विंध्यवासिनी देवी का कोई जोड़ नहीं था. इसके बाद पद्मश्री शारदा सिन्हा ने आवाज बिखेरना शुरू किया, जो आज भी कायम है. भरत शर्मा भी इस दौड़ में आये. लोक आस्था का महापर्व छठ और इसमें गाये जाने वाले लोकगीतों के बीच आत्मीय संबंध नजर आता है.  बिहार हो या देश या दुनिया का कोई कोना, जैसे ही छठ की चर्चा होती है, तो फिलहाल लोगों को सबसे पहले पद्मश्री शारदा सिन्हा के  छठ गीत की याद आती है.  शारदा सिन्हा ने अब तक मैथिली, भोजपुरी, अंगिका और बज्जिका में 70 से अधिक गाने गए है. 

 हिंदू धर्म में आस्था व्यक्त करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है

हिंदू धर्म में देवी देवताओं को त्योहारों के साथ जोड़कर आस्था व्यक्त करने की सदियों पुरानी परंपरा रही है.  लेकिन छठ पर्व पर सूर्य देवता की आराधना का खास महत्व है. छठ पर्व सबसे कठिन व्रत माना जाता है.  इसका अपना वैज्ञानिक महत्व भी है, जो आस्था के साथ जीवन के संचार को बताता है.  सभी देवी -देवताओं के प्रति लोगों की आस्था जुडी हुई है लेकिन सूर्य भगवान को समर्पित छठ पर्व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास पर्व है. सूर्य देव को लोग प्रत्यक्ष रूप से तो देखते ही हैं, इसके साथ ही उनके प्रकाश से जीवन की उत्पत्ति को भी देखा जा सकता है.  सूर्य  के बिना संसार में किसी जीव -जंतु, और पेड़ पौधों की उत्पत्ति ही नहीं हो सकती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो  

Published at:18 Nov 2023 02:07 PM (IST)
Tags:dhanbadchathgeetswarkokilabihar
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.