रांची(RANCHI): झारखंड में कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अब नई पारी की शुरुआत करने वाले है. तमाम अटकलों के बीच अब चंपाई जल्द ही इस चर्चा पर विराम लगा सकता है. जिस तरह से पल-पल राजनीति घटना क्रम बदल रहे है. इससे संकेत साफ है चंपाई कोई बड़ा कदम उठाने वाले है. हालांकि इसे लेकर वह खुल कर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. अगर चुनाव से पहले चंपाई भाजपा में शामिल हो जाते है तो भाजपा के लिए यह किसी अवसर से कम नहीं होगा. जिन आदिवासी वोटरों को रिझाने में पूरी भाजपा में दम खम लगा दिया है. उसे एक संजीवनी बूटी के रूप में टाइगर मिल जाएगा.
झारखंड की सत्ता की चाभी आदिवासी सीट को माना जाता है.कोल्हान और संथाल मिला कर 28 सीट में जिसका दबदबा हुआ वह राज्य की सत्ता में बैठ जाता है. यही कारण है कि हाल के दिनों में भाजपा लगातार आदिवासियों के मुद्दे को प्रमुखता से उठा कर वोट बैंक में सेंधमारी करने की जुगत में लगी है. इस बीच ही ठीक चुनाव से पहले चंपाई की झामुमो से नाराजगी को भाजपा अपनी ताकत बना कर चुनावी डगर को पार करने की कोशिश में है. देखे तो हाल में सभी भाजपा के नेता हेमंत सरकार को लेकर आक्रामक दिख रहे है, लेकिन जब चंपाई पर सवाल किया जाता है तो सॉफ्ट हो जाते है. उनके कार्यकाल की तारीफ करते है.
इन सब के बीच ही चंपाई के साथ कई विधायकों के भाजपा में शामिल होने की खबर सुर्खियों में बनी. लेकिन इंडी गठबंधन के नेता इसे भाजपा के द्वारा प्रायोजित खबर बताते रहे. कांग्रेस का मानना है कि चंपाई सोरेन की कोई नाराजगी नहीं है. गठबंधन के एक बड़े नेता वह है. पार्टी के साथ मजबूती से खड़े है. कांग्रेस झामुमो लाख दावा कर रही है कि चंपाई साथ है पार्टी के संपर्क में बने हुए है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. चंपाई अपनी नाराजगी का बम जल्द फोड़ने वाले है. फिलहाल वह दिल्ली पहुंच गए है.
दिल्ली पहुंचने पर भी चंपाई ने बयान दिया कि जहां थे अभी वही है. इससे भी साफ संकेत है कि “अभी वहीं है” चंपाई ने सही ही कहा अभी तो झामुमो में ही है. आगे कुछ कहा नहीं जा सकता. क्योंकि उन्होंने भाजपा में शामिल होने के सवाल से किनारा भी नहीं किया है. राजनीति संभावनाओं का खेल है. कोई कभी भी पलटी मार सकता है. यह सभी लोगों को मालूम है.
अब अगर चंपाई भाजपा में शामिल हो जाते है तो झारखंड में संभवत भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बना सकती है. हालांकि पहले से भाजपा में बाबूलाल मरांडी आदिवासी चेहरा के रूप में है. लेकिन हाल में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है. इससे अंदर ही अंदर उनपर सवाल भी खड़ा हो रहा है. अब इंतजार चंपाई के भाजपा में शामिल होने का है.