चाईबासा(CHAIBASA): पश्चिमी सिंहभूम जिला हमेशा किसी ना किसी योजना में घोटाले को लेकर चर्चित रहता है. जबकि मनरेगा में हुए घोटाले को लेकर जांच चल रही है फिर पश्चिमी सिंहभूम जिला में घोटाला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसी एक बानगी जिले के गोईकेरा प्रखंड के गोईलकेरा समेत तमाम प्रखंडों के मनरेगा योजना में अनियमितता बरती जा रही है. गोईलकेरा प्रखंड में अवैध वेंडर बनकर 18 लाख की निकासी कर ली गई. बीडीओ की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. उल्लेखनीय है कि पश्चिम सिंहभूम जिले के तमाम प्रखंडों के विभिन्न पंचायतों में संचालित मनरेगा योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है.
मनरेगा वेंडर सिर्फ वाउचर बेचकर कमाई कर रहे हैं. जबकि नियमतः प्रखंड में रजिस्टर वेंडरों का मैटेरियल सप्लाई से जुड़ी अपनी दुकान होनी चाहिए. दुकानों के आगे जीएसटी, रजिस्ट्रेशन नम्बर आदि जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर दर्ज रहनी चाहिये. लेकिन कुछ वेंडरों को छोड़कर प्रायः के पास मैटेरियल सप्लाई का दुकान नहीं है. दूसरे स्थानों से सामग्री उठाकर फर्जी तरीके से ये कार्य कर रहे है. इसके अलावे कुछ वेंडरों को दूसरे जिले के विभिन्न प्रखंडों का वेंडर बनाया गया है. जबकि ये गलत है.
बीडीओ की भूमिका संदेहास्पद
गोईलकेरा प्रखंड क्षेत्र में संचालित मनरेगा योजना के नाम पर दो संदिग्ध वेंडरों के नाम से करीब 18 लाख रुपये की निकासी कर ली गई है. इन दोनों पंचायतों के रोजगार सेवकों को दो-दो पंचायतों के प्रभार मिले हुए हैं. पैसे की निकासी मामले में बीडीओ विवेक कुमार की भूमिका भी संदेहास्पद बताई जा रही है. क्योंकि मामले की बिना जांच किये पैसे निकासी करने का आदेश दे दिया गया.
ऐसे की गई पैसे की निकासी
उल्लेखनीय है कि बीते 20 से 30 सितम्बर के बीच तरकटकोचा पंचायत से करीब 12 लाख 53 हजार 936 रुपये तथा सारूगाड़ा पंचायत से एक लाख 11 हजार 600 की निकासी एक ही वेंडर से की गई है. ये वेंडर गोईलकेरा प्रखंड के आवास योजना में आवास मित्र के रूप में कार्य करता है. वहीं दूसरी निकासी सारूगाड़ा पंचायत में छह लाख 83 हजार 293 रुपये की गई (दोनों आंकड़ा सरकारी डोमेन में मौजूद). इसका वेंडर सरायकेला-खरसवां जिले का हैं. दोनों वेंडर गोईलकेरा प्रखंड में मनरेगा मैटेरियल की सप्लाई सिर्फ कागजों पर कर रहे हैं. क्योंकि दोनों मनरेगा वेंडर का गोईलकेरा प्रखंड में न दुकान है और न ही ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था है. ऐसे में यह अधिकारियों की मिलीभगत से कागज पर ही मैटेरियल सप्लाई कर मनरेगा वेंडर, वाउचर बेचकर कमाई कर रहे हैं. मनरेगा के कार्यों से जुड़े वेंडर सरकार की रॉयल्टी व जीएसटी की भी चोरी कर रहे हैं. जब अपना दुकान नहीं है तो स्वभाविक है कि जीएसटी गलत भर रहे हैं. पश्चिम सिंहभूम में एक भी बालू घाट की नीलामी वर्षों से सरकार ने नहीं की है. ऐसे में मनरेगा से जुड़े कार्यों में बालू की आपूर्ति कहां से हो रही है. इस मामले को लेकर गोईलकेरा के बीडीओ विवेक कुमार ने जांच करने की बात कही है.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा