धनबाद(DHANBAD): केंद्रीय अनुसंधान एवं संस्थान (सिम्फ़र ) में 140 करोड़ रुपए के हुए मानदेय घोटाले की जांच में तेजी आ गई है. सीबीआई ने इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया है. इस मामले में पूर्व डायरेक्टर डॉ पी के सिंह सहित चीफ साइंटिस्ट रिसर्च ग्रुप के सर्वेसर्वा डॉ अशोक कुमार सिंह को आरोपी बनाया गया है. अन्य भी आरोपी बने है. इसी जांच के क्रम में शुक्रवार को सीबीआई की एक टीम चीफ साइंटिस्ट डॉ अशोक कुमार सिंह के डिगवाडीह स्थित आवास में पहुंची और जांच पड़ताल शुरू की. जांच टीम अभी कुछ भी नहीं बता रही है. टीम ने आवास को पहले पूरी तरह से सुरक्षा में लेकर जांच की कार्रवाई शुरू की. आवास जाने वाले रास्ते में किसी को आने-जाने पर पाबंदी थी.
संस्थान की प्रतिष्ठा पर लगा है बड़ा दाग
इस मामले में डॉ पी के सिंह ,डॉ अशोक कुमार सिंह के अलावा भी आरोपी बनाए गए है. . यह संस्थान देश में ख्याति प्राप्त संस्थान है और अनुसंधान में यह कई उपलब्धि हासिल कर चुका है. लेकिन मानदेय घोटाले को लेकर यह संस्थान एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप है कि वर्ष 2016 से 28 मार्च 2021 के बीच कोल सैंपलिंग प्रोजेक्ट में नियम को ताक पर रख कर सिंफर के 553 वैज्ञानिकों, टेक्निकल ऑफिसर, टेक्निकल असिस्टेंट और प्रशासनिक कर्मचारियों को 139 करोड़ 79 लाख 97 हजार 871 रुपए का भुगतान किया गया. इसमें से डॉ पीके सिंह ने मानदेय के रूप में 15 करोड़ 36 लाख 72 हजार रुपए व डॉ अशोक सिंह को बौद्धिक शुल्क के रूप में नौ करोड़ चार लाख 31 हजार 337 रुपए मिले. इससे सरकार के खजाने को क्षति पहुंची है.
2021 से ही चल रही थी जाँच
वर्ष 2021 से ही इस घोटाले की जांच चल रही थी. लोग पूछ रहे है कि क्या घोटालों का रिसर्च सेंटर बन गया है केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान,(सिंफर). मानदेय घोटाले में केस दर्ज होने के बाद धनबाद के केंद्रीय खनिज एवं अनुसंधान संस्थान की प्रतिष्ठा को गहरा झटका लगा है. यह संस्थान देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार है. लेकिन कई तरह के घोटालों को लेकर यह संस्थान हाल के दिनों में चर्चा के केंद्र में रहा है .इन घोटाले और गड़बड़ियों से इस संस्थान को आर्थिक नुकसान होने की भी संभावना है. सूत्रों के अनुसार कोल सैंपलिंग का काम सिंफर के हाथ से निकल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो 800 से 1000 करोड़ का प्रतिवर्ष नुकसान हो सकता है .सिंफर के जिम्मे कोल सैंपलिंग का बड़ा काम है .कोल कंपनियों और पावर प्लांट के बीच कोयले की ग्रेडिंग का निर्धारण थर्ड पार्टी के रूप में करने की जिम्मेवारी सिंफर के पास है. सिंफर की रिपोर्ट के आधार पर ही कोयले की कीमत का भुगतान होता रहा है. फिलहाल कोल सैंपलिंग में भी गड़बड़ी हुई है अथवा नहीं, इसकी भी जांच चल रही है. कई तरह के आरोपों से घिरे सिंफर के हाथ से अगर कोल सैंपलिंग का काम छीन जाता है तो यह संस्थान के लिए बड़ा नुकसान होगा
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो