रांची(RANCHI): राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जातीय जनगणना करवाने की सलाह देने के साथ ही झारखंड में जातीय जनगणना का सवाल राजनीतिक रुप से तूल पकड़ने लगा है.
झारखंड में जातीय जनगणना के सवाल पर भाजपा नेता सुशील मोदी की इंट्री
अब इस मामले में कूदते हुए भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव की नियत को लेकर गंभीर सवाल खड़े किये हैं, उन्होने कहा है कि जातीय जनगणना की मांग करने वाले तेजस्वी यादव को पहले अपने गिरेवान में झांक कर देखना चाहिए.
आखिर राजद की क्या लाचारी है कि वह हेमंत सरकार को अपना समर्थन दे रही है, जबकि हेमंत सरकार के द्वारा बैगर पिछड़ों को आरक्षण दिये ही पंचायत चुनाव करवाया गया, अब नगर निकाय का चुनाव भी संपन्न करवाने की तैयारी की जा रही है. साथ ही हेमंत सरकार लगातार जातीय जनगणना की मांग से पीछे भाग रही है. इस हालात में हेमंत सरकार को राजद का समर्थन गंभीर सवाल खड़े करता है.
उन्होंने कहा कि देश के दूसरे राज्यों में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का प्रावधान करने के बाद ही पंचायत चुनाव संपन्न करवाया गया, लेकिन पिछड़ों को यह अधिकार झारखंड में क्यों नहीं मिला? राजद को इसका जवाब देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब जातीय जनगणना की मांग को लेकर झारखंड से सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल ने केन्द्र सरकार से मुलाकात की थी, उस प्रतिनिधि मंडल में झामुमो के भी प्रतिनिधि शामिल थें, लेकिन उसके बाद इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई, हेमंत सरकार और तेजस्वी यादव को इसका जवाब देना चाहिए. लेकिन इसका जवाब देने के बजाय तेजस्वी यादव के द्वारा जातीय जनगणना करवाने की सलाह दी जा रही है.
तेजस्वी यादव ने उठाया था जातीय जनगणना का मामला
यहां बता दें कि राजद कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने रांची पहुंचे तेजस्वी यादव ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात कर झारखंड में जातीय जनगणना करवाने की सलाह दी थी, अब इस मुद्दे पर भाजपा नेता सुशील मोदी की भी इंट्री हो चुकी है. यहां यह भी बता दें कि आम रुप से भाजपा को जातीय जनगणा का विरोधी माना जाता है, लेकिन सुशील मोदी ने जातीय जनगणना के सवाल को उठाकर हेमंत सरकार को राजद के समर्थन पर सवाल खड़े कर दिये हैं.
वैसे सवाल यह भी किया जा सकता है कि भाजपा पूरे देश में जातीय गणना क्यों नहीं करवाती? क्योंकि पूरे देश में जातीय गणना करवाने का अधिकार तो केन्द्र के पास है, अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कौन कौन से राजनीतिक पैतरे फेंके जाते हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार