दुमका(DUMKA):काजू एक ऐसा फल जो पौष्टिक होने के साथ-साथ कई गुणों से भरपूर होता है. लेकिन महंगाई के इस दौर में काजू आम लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है. वैसे तो काजू उत्पादन का जब जिक्र होता है. तो लोगों के जेहन में केरल राज्य का नाम आता है. लेकिन झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में कुछ ऐसी जगह है. जहां काजू के बागान है. यहां की आबोहवा काजू उत्पादन के अनुकूल है.
झारखंड की आबोहवा काजू उत्पादन के लिए अनुकूल
जामताड़ा का नाला प्रखंड हो या दुमका का जरमुंडी प्रखंड, कई एकड़ में काजू बागान फैला हुआ है. लगभग 3 दशक पूर्व यहां काजू के पौधे लगाए गए थे. उद्देश्य था लोगों की आर्थिक समृद्धि करना. वह भी कृषि के माध्यम से. यह परंपरागत कृषि के सहारे नहीं हो सकता. इसीलिए सरकार का ध्यान नकदी फसल की ओर गया. और काजू के पौधे लगाए गए. पौधा आज पेड़ का रूप ले चुका है. प्रत्येक वर्ष इसमें काजू का फल भी लगता है. लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है. वजह साफ है विभागीय उदासीनता.
काजू के बागानों पर नहीं दिया जाता है ध्यान
आज के समय में केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक किसानों की आय कृषि के माध्यम से दुगुनी करने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक कई योजनाएं चला रही है. लेकिन वर्षो पूर्व सरकार ने जिस सोच के तहत दुमका के जरमुंडी प्रखंड के चोरडीहा में काजू का बागान लगाया उस पर किसी का ध्यान नहीं है. प्रत्येक वर्ष पेड़ में काजू का फल लगता है लेकिन उसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. नतीजा एक तरफ जहां जानवर काजू के पेड़ को नष्ट कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ आस पास के लोग काजू के फल को बरबाद कर रहे है. बरबाद शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहे है. क्योंकि अपरिपक्व फल को ही तोड़ लेते हैं.
असामाजिक तत्व काजू बागान में लगा देते है आग
हद तो तब हो जाता है जब असामाजिक तत्वों द्वारा काजू बागान में ही आग लगा दिया जाता है. इसके दो कारण बताया जा रहा है. एक तो फल को तोड़ने के बाद उसे बागान में ही आग जलाकर खाने के लिए फल को पकाते है वहीं फल तोड़ने में जंगली जीव जंतु का सामना ना करना पड़े इसके लिए आग लगा देते है. स्थानीय लोग वर्षो से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की मांग कर रहे है. उनका कहना है कि अगर प्रोसेसिंग यूनिट लग जाता तो काजू का मूल्य संवर्धन होता है. इसका फायदा सरकार के साथ साथ आम लोगों को भी होता.
काजू बागान की सुधार को लेकर लोग कर रहे सरकार से मांग
बादल पत्रलेख जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. चुनाव जीत कर जाने के बाद जब मंत्रीमंडल का गठन हुआ तो इन्हें कृषि मंत्री बनाया गया. संथाल परगना प्रमंडल कृषि प्रधान प्रमंडल है. बादल पत्रलेख के कृषि मंत्री बनने के बाद यहां के किसानों की उम्मीद जगी की अब उनके लिए अच्छे दिन आएंगे. सरकार द्वारा किसानों के हित मे कई योजनाएं चलायी जा रही है. जिसका लाभ भी किसानों को मिल रहा है. यहां के लोग काजू के मूल्य संवर्धन के लिए प्रोसेसिंग यूनिट की अपेक्षा मंत्री से कर रहे है. काजू बागान की बदहाली के बाबत जब मंत्री से पूछा गया तो उन्होंने इसके बदहाली का ठेकरा ग्रामीणों के माथे पर ही फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि आखिर इसे कौन नष्ट कर रहा है. अगर नष्ट हो रहा है, तो इसकी कितनी शिकायत थाना तक पहुंची. इसलिए इसकी रक्षा के लिए आम लोगों को आगे आना होगा. उन्हें जो भी सुविधा चाहिए हम मुहैया कराएंगे.
कृषि मंत्री नसीहत के साथ कुछ कदम भी उठाना चाहिए
मंत्री जी भले ही इसके लिए आम लोगों को जागरूक बनने की नसीहत दें. लेकिन सवाल उठता है कि इसके रख रखाव के लिए कितने लोगों को भागीदार बनाया गया है. जनता को कितना लाभांश मिलेगा, इसका निर्धारण कौन करेगा. प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार के स्तर से अभी तक क्या पहल हुई है. मंत्री जी को यह भी बताना चाहिए. स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ कॄषि मंत्री भी हैं. तो क्षेत्र की जनता की अपेक्षा जरूर बढ़ेगी.
रिपोर्ट: पंचम झा