☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. News Update

क्या जंगली जानवरों के शिकार को दिया जा सकता है कानूनी जामा? मौजूदा नीतियां और एक्सपर्ट की क्या है राय

क्या जंगली जानवरों के शिकार को दिया जा सकता है कानूनी जामा? मौजूदा नीतियां और एक्सपर्ट की क्या है राय

रांची(RANCHI): एक अनुमान के अनुसार, झारखंड के गुमला, खुंटी, सिमडेगा, चतरा, हजारीबाग, चाईबासा आदि जिलों में वर्ष 2020-21 में 74 और 2021-22 में 133 लोगों की जान हाथियों के हमले में चली गयी. हाल के दिनों में हाथियों के द्वारा जंगल से बाहर निकल समीपवर्ती गांवों में हमला करने की प्रवृति में इजाफा हुआ है. इसके कारण सरकार को मृतकों को एक बड़ी रकम मुआवजा के तौर पर देनी पड़ती है. बताया जाता है कि झारखंड की सरकार ने वर्ष 2020-21 में 591 लाख और 2021-22 में 485 लाख रुपये का भुगतान इस मद में किया है. इसके साथ ही केन्द्र सरकार के द्वारा भी मुआवजे की ऱाशि दी जाती है.

देश अलग-अलग हिस्सों में जंगली जीवों का हमला एक गंभीर समस्या बन कर उभरी है

यह समस्या सिर्फ झारखंड की नहीं है, देश के अलग-अलग हिस्सों की यही समस्या है. माना जाता है कि हाल के दिनों में वन प्राणियों और मानव के बीच संघर्ष तेज हुआ है. अब तो नेशनल हाईवे पर भी शेर घूमते देखे जा रहे हैं, इसके सैकड़ों वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध है.

इस परिस्थिति में यह सवाल उठना वाजिब है कि क्या वन-पर्यावरण संबंधी नियमों में किसी बदलाव की जरुरत है. जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए क्या हम किसी अन्य विकल्प की तलाश कर सकते हैं. क्या वन्य जीव और मानव के बीच संतुलन बनाये रखने के लिए हमें किसी और विकल्प की तलाश है? 

क्या है वाइल्ड गेम प्लान

हम यह इसलिए कह रहे हैं कि कुछ वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट ने वाइल्ड गेम प्लान नाम से एक ग्रुप का निर्माण किया है, उनका कहना है कि भारत सरकार को हंटिंग को कानूनी मान्यता देनी चाहिए. इन लोगों का तर्क है कि ‘लीगल कंजर्वेजशन हंटिंग’ पूरे अफ्रीका में लागू है. सरकार इससे होनी वाली आय को अन्य वन्य जीवों के संरक्षण में लगा सकती है. उनका मानना है कि इससे वन्य जीवों को बेहतर प्रबंधन हो सकेगा.

वन्य प्राणी हमारे लिए एक सम्पदा होना चाहिए, भार नहीं

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य वन्य संरक्षक एचएस पाबला का कहना है कि हमने इन स्थलों पर पर्यटन की अनुमति तो दे दी, लेकिन हंटिंग की अनुमति नहीं दी. जगंली जानवर एक हमारे लिए एक सम्पदा होना चाहिए, भार नहीं और वह भी तब जब हम एक बेहद गरीब देश हैं.

नामीबिया मॉडल का दिया जाता है उदाहरण

कुछ एक्सपर्ट नामीबिया मॉडल का भी उदाहरण देते है, जिसके द्वारा चीतों को बाहर भेजा जाता है, इसे वहां कंजरवेशन हंट कहा जाता है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों की राय इस पूरे विचार को खारिज करती है. उनका मानना है कि अफ्रीकी देशों की अपनी मजबूरी हो सकती है, लेकिन यह मॉडल हमारे लिए उपयुक्त नहीं है.

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

Published at:14 Jan 2023 05:07 PM (IST)
Tags:hunting of wild animalswild animals opinion of the current policiesexpertsopinion of the current policies and expertsCan hunting of wild animalsWILD ANIMALS NATIONAL NEWS JHARKHAND
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.