☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. News Update

रामगढ़ विधानसभा की सीट के लिए होगा उपचुनाव, ममता देवी की विधायकी रद्द, जानिए पूरी खबर

रामगढ़ विधानसभा की सीट के लिए होगा उपचुनाव, ममता देवी की विधायकी रद्द, जानिए पूरी खबर

रांची(RANCHI):  रामगढ़ गोली कांड की दोषी साबित होने के बाद खत्म हो गई ममता देवी की विधायकी. इस संबंध में झारखंड विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर दी है. हजारीबाग कोर्ट के द्वारा सजा मिलने के कारण ममता देवी की सदस्यता रद्द कर दी गई. पिछले 13 दिसंबर को हजारीबाग कोर्ट ने रामगढ़ की कांग्रेसी विधायक ममता देवी को गोला गोली कांड में दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी उन्हें 5 साल की सजा दी गई है. फिलहाल ममता देवी जेल में हैं.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत हुई कार्रवाई

झारखंड विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. विधानसभा के अधिकारियों ने कहा कि सचिव ने स्पीकर के निर्देश पर अयोग्यता अधिसूचना जारी की. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के नियमों के अनुसार यह कार्रवाई की गई. इसे लेकर जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 के अनुसार और संविधान की धारा एक 191 (1) (ड़) के अनुसार ममता देवी के दोष सिद्ध होने के कारण उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है. बता दें इसके अनुसार 2 साल से अधिक की सजा होने पर विधायकी के लिए उम्मेदवार अयोग्य घोषित हो जाते है. झारखंड विधानसभा ने सोमवार को कांग्रेस की रामगढ़ विधायक ममता देवी को आधिकारिक रूप से अयोग्य घोषित कर दिया. यह उन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद लिया गया. बता दें हजारीबाग जिले की एक विशेष अदालत ने इस महीने की शुरुआत में विधायक ममता देवी और 12 अन्य को पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी. इन सभी को 2016 के दंगे और हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया था. यह मामला रामगढ़ जिले के गोला में हिंसक विरोध प्रदर्शन से जुड़ा था.

जानिए क्या है मामला

मालूम हो कि ममता देवी आईपीएल कंपनी के खिलाफ आंदोलन में शामिल थीं. विरोध के दौरान पुलिस पर हमला हुआ था और गोलीबारी हुई थी. इस घटना में कुछ लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे. हजारीबाग कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. ममता देवी को दोषी पाया गया था. बता दें ये पूरा मामला 20 अगस्त 2016 का है. ममता देवी के नेतृत्व में रामगढ़ के गोला थाना क्षेत्र में आइपीएल कंपनी को बंद कराने को लेकर नागरिक चेतना मंच की ओर से कंपनी कार्यालय के बाहर धरना दिया जा रहा था. इसी दौरान ग्रामीण उग्र हो गए थे और पुलिस को आत्मरक्षा और बचाव के लेकर फायरिंग करनी पड़ी थी. इस घटना में कुछ लोगों की मौत और 24 से अधिक लोग घायल हो गए थे. मामले में आइपीएल प्रबंधन ने ममता देवी समेत 200 ग्रामीणों पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने और कर्मचारियों से मारपीट करने का आरोप लगाते हुए गोला थाना में कांड संख्या 65/2016 और रजरप्पा थाने में कांड संख्या 79/2016 दर्ज किया गया था. कांड संख्या 65/2016 में 30 अगस्त 22 को अदालत की ओर से सुनाई जा चुकी है. अदालत ने विधायक ममता देवी सहित आठ लोगों को तीन माह की सजा सुनाई थी.

ममता की राजनीतिक यात्रा

वर्ष 2019 के विधानसभा में पहली बार कांग्रेस टिकट पर निर्वाचित हुई थी ममता देवी. ममता देवी ने रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री और आजसू पार्टी सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी को पराजित कर लंबे समय के बाद ये सीट कांग्रेस के खाते में डालने में सफलता हासिल की थी. ऐसे में ममता को अदालत से सजा मिलने के बाद रामगढ़ विधानसभा सीट खाली हो गई अब यहां पर उप चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. राज्य निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग को मंगलवार को सूचना दी जाएगी.

इससे पहले भी लोगों की खत्म हुई है विधायकी

ममता आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद इस साल विधानसभा से अयोग्य करार होनेवाली कांग्रेस की दूसरी विधायक हैं. इससे पूर्व आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व मांडर विधायक बंधु तिर्की को तीन साल की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया गया था.

2013 में अदालत ने दिया था आदेश

जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है. इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है. हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया था कि यह फैसला भावी मामलों में ही लागू होगा. पीठ ने यह भी कहा कि संसद को इस प्रावधान को लागू करने का अधिकार नहीं था क्योंकि यह संविधान के विपरीत है. शीर्ष अदालत ने फैसले में आम आदमी और चुने गए जनप्रतिनिधियों के बीच असमानता को दूर करने का प्रयास किया है. मालूम हो कि जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान के मुताबिक आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को तब अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, जबकि उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो. अदालत ने यह फैसला अधिवक्ता लिली थॉमस और गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी के सचिव एसएन शुक्ला की जनहित याचिका पर सुनाया. इन याचिकाओं में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा गया था कि इससे संविधान का उल्लंघन होता है. याचिका में कहा गया था कि संविधान में एक अपराधी के मतदाता के रूप में पंजीकृत होने या फिर उसके सांसद या विधायक बनने पर प्रतिबंध है. लेकिन जन प्रतिनिधित्व कानून का प्रावधान दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है. याचिकाकर्ता के मुताबिक यह प्रावधान पक्षपात करने वाला है क्योंकि इससे समानता के अधिकार अनुच्छेद-14 का उल्लंघन होता है और इससे राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है.

Published at:27 Dec 2022 11:45 AM (IST)
Tags:THE NEWS POST MAMATA DEVI RAMGARH UPCHUNAVJHARKHAND NEWS
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.