सरायकेला(SARAIKELA):झारखंड का सरायकेला जिला अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास रखता है, तो वहीं यहां देश का सबसे बड़ा और पुराना औद्योगिक क्षेत्र आयडा भी है. जिससे उसकी पहचान होती है, लेकिन पिछले कई सालों से आदित्यपुर की पहचान यहां की मुस्लिम बस्ती की वजह से हो रही है.सरायकेला जिले के आदित्यपुर में सफेद जहर यानि ब्राउन शुगर का कारोबार इस पर धब्बा लगाने का काम कर रहा है. आदित्यपुर में लम्बे समय से ब्राउन शुगर का करोबार फल फूल रहा है.
लौहनगरी के इस इलाके से पूरे झारखंड में सप्लाई होता ब्राउन शुगर
वहीं नशे के खिलाफ पुलिस कार्रवाई तो करती है लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखता है.मुस्लिम बस्ती की छोटी सी गली से निकल कर मौत की सफेद पुड़िया अब तक ना जाने कितने युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर चुकी है, और नशे के दलदल में धंसा चुकी है.ऐसा माना जाता है कि आदित्यपुर की मुस्लिम बस्ती से ही पूरे जमशेदपुर सहित झारखंड में ब्राउन शुगर की सप्लाई की जाती है.
बड़ी आसानी से मिल जाती है सफेद पुड़िया
सबसे हैरान करनेवाली बात यह है कि मुस्लिम बस्ती से महज कुछ ही दूरी पर आदित्यपुर थाना स्थित है, जहां पुलिस अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन फिर भी आसान तरीके से आपको बड़े सस्ते दाम पर ब्राउन शुगर इस इलाके में मिल जाता.करोबार की जड़ अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि इसे उखाड़ पाना पुलिस के लिए भी काफी मुश्किल है.
साजिश के तहत युवाओं को इस काम में लाया जाता है
आपको बताये कि एक साजिश के तहत युवाओं को ड्रग पेडलर अपनी जाल में फंसाते हैं, पहले फ्री में उन्हें नशे की पुड़िया दी जाती है, और जब युवा नशे के आदि हो जाते है तो उनसे पैसे की डिमांड की जाती है.पैसा नहीं देने पर उनसे ब्राउन शुगर की तस्करी कराई जाती है.ऐसा करते-करते युवा इस जाल में इतना ज्यादा फंस जाते हैं कि इसके दलदल से निकलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है.
ब्राउन शुगर की वजह से बर्बाद हो रहे है ईलाके के युवा
आपको बताये कि आदित्यपुर क्षेत्र में ऐसी बुहत सारी बस्तियां हैं, जहां गरीब आदिवासी लोग निवास करते हैं, जो कम पढ़ें लिखे होते है, और दिन भर मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पालते है. बस्तियों में रहनेवाले युवा और बच्चे आसानी से इन ड्रग पेडलेरों की जाल में फंस जाते हैं और फिर चाहते हुए भी इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं. ब्राउन शुगर के आदि हो चुके युवा अपने नशे की जरूरत को पूरा करने के लिए घरों और दुकानों में छोटी मोटी चीजों की चोरी भी करते हैं, जिसकी वजह से यहां चोरी और डकैती जैसी वारदात भी होती रहती है.
इस तरह ड्रग पेडलर बुनते है जाल
आपको बताये कि क्षेत्र में ब्राउन शुगर और चरस गांजा जैसा कारोबार करने वाले सबसे पहले कम उम्र के लड़के या बेरोजगार युवाओं को अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं, सूत्रों की माने तो अब ड्रग पेडलरों का जाल पूरे शहर में फैल चुका है.ये रोजाना करोड़ों का बिजनेश करते है.नशे के इस कारोबार में युवक के साथ युवतियों को भी शामिल किया जाता है, ताकि दोनों साथ में पुड़िया की सप्लाई करेंगे, तो किसी को शक भी नहीं होगा.ड्रग पेडलर अपने गुर्गों को स्कूल या कॉलेज के बाहर जाकर छात्रों को ब्राउन शुगर और चरस का ऑफर देते हैं, जब युवा इसके लिए मना करते हैं तो फिर उन्हें अलग-अलग तरीकों से लुभाया जाता है.
बड़ी सावधानी से की जाती है डिलीवरी
सूत्रों की माने तो ब्राउन शुगर की तस्करी शहर के हर एरिया में किया जाता हैं.जब भी ब्राउन शुगर की पुड़िया की डिमांड आती है, तो तुरंत पैडलर सप्लायर को लोकेशन नहीं भेजते है.वहीं लोकेशेन पर पहुंचने के बाद दूर से ही डिलीवरी करनेवाला ग्राहक की एक्टिविटी पर नजर रखता है, जब उसे लगता है कि कोई खतरा नहीं है, तो वो सप्लाई करता है.वहीं हर एरिया के पेडलर का कोड होता है, जिसे उसी नाम से पुकारा जाता है, ताकि किसी कोई भनक ना लगे.सूत्रों की माने तो तस्कर के सरगना को टाईगर के नाम से पुकारा जाता है.