धनबाद (DHANBAD) : जश्न की तैयारी अभिशाप बन गई और देखते देखते 14 लोग जिंदा जल गए. दर्जनों लोग जीवन और मौत से जूझ रहे हैं. यही हुआ मंगलवार की शाम जोड़ा फाटक रोड स्थित आशीर्वाद टावर में. आशीर्वाद टावर में आग अभिशाप बन गई. इस बेटी का भी दुर्भाग्य देखिए कि बेटी की डोली उठने के बाद मां सहित पांच परिजनों की अर्थी उठेगी. बेटी को यह नहीं मालूम है कि उसकी मां सहित उसके दादा दादी और अन्य परिजन अब इस दुनिया में नहीं है. उनसे कभी भेंट नहीं हो पाएगी. शादी होने तक वह अनजान थी, हालांकि उसकी नजरें मां और दादी को खोज रही थी लेकिन उसे समझाया जाता रहा कि उनका इलाज चल रहा है. वह सात फेरे लेकर हमेशा हमेशा के लिए सौरभ की हो गई.
ब्यूटी पार्लर गई थी दुल्हन, इसलिए बच गई
आशीर्वाद टावर में दुल्हन स्वाति के विवाह की तैयारी हुई थी. दुल्हन स्वाति ब्यूटी पार्लर गई थी और इसी वजह से वह बच गई. वहां से सीधे उसे विवाह स्थल धनसार ले जाया गया, तब तक बाराती वाले भी पहुंच चुके थे. यह बारात गिरिडीह के न्यू बरगंडा आश्रम रोड से धनबाद पहुंची थी. विचार विमर्श करने के बाद शादी करने का निर्णय हुआ और शुभचिंतकों ने इसमें भूमिका अदा की. बारात पहुंचे लोगों की भी आंखें नम थी. उन लोगों ने भी भोजन ग्रहण नहीं किया, करते भी क्या ,भगवान को यही मंजूर था. चौथे तल्ले पर रहने वाले सुबोध श्रीवास्तव की बेटी की शादी थी. लोग बताते हैं कि घर सजा हुआ था. पूजा का एक दीया उलट गया और आग सजावट के सामानों में लग गई और उसके बाद इतना बड़ा हादसा हो गया. हादसा देखने सुनने वालों का कलेजा फट रहा था. फटे भी क्यों नहीं, धनबाद हाल के दिनों में बड़े बड़े हादसों से गुजर रहा है. शुक्रवार को हजरा अस्पताल में आग लगी जिसमें 5 लोगों ने मौत को गले लगा लिया. उसके बाद कुमारधुबी बाजार में आग लगी, जहां दो दर्जन दुकानें खाक हो गई. फिर मंगलवार की शाम आशीर्वाद टावर की आग ने 14 जाने ले ली. घायलों में कुछ की हालत अधिक गंभीर है.
घटना ने आपात व्यवस्था की खोली पोल
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि आगलगी कि इस घटना में जो लोग टावर के छत की ओर भागे, वह तो बचा लिए गए लेकिन जो लोग सीढ़ी होते हुए नीचे की ओर भागे, मारे गए. इस घटना ने ऐसे ऐसे दृश्य दिखाएं कि लोग चीत्कार कर उठे. एक बच्ची अपनी मां के सीने से चिपकी हुई थी, मां मर चुकी थी, बच्ची मदद की गुहार लगा रही थी. फायर ब्रिगेड की टीम ने जान जोखिम में डालकर उस बच्ची को उठाया जरूर लेकिन अस्पताल ले जाने के क्रम में उसकी मौत हो गई. यहां फिर मां की ममता हार गई और मां और बेटी दोनों की मौत हो गई. इस घटना ने आपात व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी है. फायर फाइटिंग सिस्टम एन वक्त पर क्यों फेल हो जाता है. यह टावर 11 तल्ले का है लेकिन धनबाद के दमकल विभाग के पास हाइड्रोलिक प्लेटफार्म वाहन नहीं है. विभाग के पास सीढ़ी है, उसे केवल तीन मंजिला तक ही पहुंचा जा सकता है. हाल के दिनों में लगातार आगलगी हो रही है. घटनाओं के बाद भी इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. कुछ दिन पहले ही पोल की लाइट ठीक करने पहुंचे एक इंजीनियर के फंसे होने के बाद रांची से हाइड्रोलिक वाहन को धनबाद मंगाकर इंजीनियर को सुरक्षित बचाया गया था. उसके बाद भी किसी की नींद नहीं खुली और हाइड्रोलिक प्लेटफार्म वाहन की व्यवस्था नहीं की गई. बाहर हाल स्थानीय लोगों ने मंगलवार की शाम आग में फंसे लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास किया. प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे. डीसी और एसएसपी ने मोर्चा संभाला. राहत कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कराई. बीसीसीएल ने भी अपनी ओर से मदद की. टावर में रहना रात को सुरक्षित नहीं होने के कारण लोग गुरुद्वारा, होटल या अपने परिचितों के यहां शरण ली. फिलहाल टावर के इलाके को सील कर दिया गया है. जांच चल रही है. इसके लिए टीम का गठन कर दिया गया है. लेकिन आगे इस तरह की घटनाएं ना हो इसके लिए पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद