धनबाद(DHANBAD): लोक क्षेत्रीय उपक्रमों के आवासों पर अवैध कब्जा अथवा उन्हें किराए पर लगाने की परिपाटी तेजी से बढ़ रही है. कोयला उद्योग की सहायक कंपनी हो अथवा स्टील अथॉरिटी की कंपनी. सब जगह ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही है. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाइयों का भी यही हाल है. कुछ दिन पहले कोल इंडिया की कंपनियों के क्वार्टर पर अवैध कब्जा का एक आंकड़ा जारी किया गया था. उसके बाद नियम में कुछ परिवर्तन करने की भी चर्चा थी. नियम में परिवर्तन हुए हैं अथवा नहीं, इसकी तो जानकारी नहीं है, लेकिन इस बीच सूचना मिली है कि बोकारो स्टील लिमिटेड के क्वार्टरों को गलत तरीके से रेंट पर लगाने की सीबीआई जांच शुरू की गई है.
बोकारो स्टील लिमिटेड के कई कर्मी और अधिकारी अपने क्वार्टरों को किराया पर लगा रहे
जानकारी के मुताबिक मंगलवार को सीबीआई की टीम ने बोकारो स्टील लिमिटेड के विजिलेंस टीम के साथ कई क्वार्टरों का औचक निरीक्षण किया. जांच की, उन आवास में रहने वाले लोगों से पूछताछ की. पूछा कि कब से इस आवास में रह रहे हैं. कैसे आपको यह आवास मिला. अगर किराया देते हैं तो कितना किराया देते हैं. क्या कुछ अग्रिम राशि भी दिए हैं. इसके बाद सीबीआई की टीम नगर सेवा भवन पहुंचकर कागजातों की जांच पड़ताल की. कई अधिकारियों से लंबी पूछताछ हुई .सूत्रों के अनुसार सीबीआई को कई गुमनाम पत्र मिले थे. इसमें कहा गया था कि बोकारो स्टील लिमिटेड के कई कर्मी और अधिकारी अपने क्वार्टरों को किराया पर लगा रखे हैं.जबकि नियमानुसार क्वार्टरों को किराया पर नहीं लगाया जा सकता. गुमनाम पत्र में कुछ नाम और क्वार्टर की संख्या भी दी गई थी. इस आधार पर जांच शुरू की गई है.
सीबीआई ने मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों का बयान दर्ज किया
सूत्र यह भी बताते हैं कि मंगलवार को एक दर्जन से अधिक लोगों का बयान दर्ज किया गया है. सभी लोग बीएसएल के क्वार्टर में रह रहे हैं. यह लोग बोकारो स्टील लिमिटेड के कर्मी नहीं है. आश्चर्यजनक बात है कि कर्मचारी तो क्वार्टर रेंट पर दिए ही हैं .कुछ अधिकारी भी इस तरह के प्रैक्टिस में शामिल हैं. मतलब किराए पर पैसा उठाने की लालच में अपनी नौकरी को भी दाव पर लगा दिए हैं. धनबाद में संचालित कोल इंडिया की सहायक कंपनी भारत को किंग कोल लिमिटेड का धनबाद के भूली में बड़ी कॉलोनी है. इस कॉलोनी की कहानी भी कुछ अजीब है. अवैध कब्जा तो है ही, साथ ही साथ यहां पर सूत्रों के अनुसार क्वार्टर को बेचने का भी काम किया जाता है. मतलब जो व्यक्ति क्वार्टर में रहता है. अगर वह खाली कर जाता है, तो किसी दूसरे को पैसा लेकर हैंड ओवर कर देता है. भूली में अवैध कब्जे को लेकर कई बार कार्रवाई की शुरुआत हुई. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. यह हाल केवल बीसीसीएल का ही नहीं है. बल्कि कोल इंडिया की अन्य सहायक कंपनियों के आवासों का भी कमोवेश यही हाल है. अब जब बोकारो स्टील लिमिटेड में किराए पर क्वार्टर देने के मामले की जांच शुरू हुई है. तो हो सकता है कि कोयला उद्योग की सहायक कंपनियों के आवासों पर भी अवैध कब्जा और किराया प्रैक्टिस की जांच शुरू हो
यह बात तो तय है कि अगर जांच हुई तो सनसनीखेज तथ्य सामने आएंगे. कहा तो यह भी जाता है कि राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला उद्योग की सहायक कंपनियों के कर्मियों के लिए आवास का निर्माण हुआ .लेकिन उसके बाद से कर्मचारी घटते चले गए और आवासों के मेंटेनेंस के प्रति मैनेजमेंट का कोई विशेष ध्यान नहीं रहा. नतीजा हुआ कि अवैध कब्जा और किराया प्रैक्टिस शुरू हुआ और होता ही चला गया.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो