धनबाद(DHANBAD) : बोकारो से एके -47 सहित हथियारों का जखीरा बरामद होने से कई सवाल खड़े हो रहे है. क्या यह हथियार और किसी की हत्या के लिए रखे गए थे या अपराधियों को हटाने का मौका नहीं मिला. बताया गया है कि पिछले साल यह हथियार बोकारो लाये गए थे. यह हथियार बोकारो कोऑपरेटिव कॉलोनी के एक आवास में जमा कर रखे गए थे. जिस वीरेंद्र प्रसाद के घर से हथियार बरामद हुए है. उससे पुलिस को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले है. सूत्रों के अनुसार चार लोगों की बारी-बारी से हत्या के लिए यह हथियार मंगाये गए थे. उनकी रेकी भी शुरू हो गई थी. चारों लोगों में सभी का आपराधिक इतिहास रहा है. कहा तो यह भी जा रहा है कि शूटर आए थे किसी और को मारने के लिए, लेकिन बोकारो पहुंचने के बाद उन्हें शंकर रवानी की सुपारी मिल गई और शंकर रवानी की हत्या कर दी गई. बोकारो पुलिस का कहना है कि वीरेंद्र प्रसाद जेल में बंद अशोक सम्राट के रिश्तेदार का चालक है. अशोक सम्राट के रिश्तेदार भी शंकर रवानी हत्याकांड में वांछित है.
बोकारो के और लोगों को टपकाने की थी योजना
यह अलग बात है कि पुलिस ने कार्रवाई कर एके-47 सहित हथियारों का जखीरा बरामद कर लिया है. अन्यथा इन्हीं हथियारों से और लोगों की हत्याएं की जा सकती थी. बोकारो पुलिस के लिए एके-47 का बरामद होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. शंकर रवानी की 18 जुलाई को हत्या कर दी गई थी. जिस ढिढ़ाई और दिलेरी के साथ हत्या की गई, उससे साफ लगता है कि शूटर भी प्रोफेशनल थे. लोग बताते हैं कि जब शूटर आश्वस्त हो गए कि शंकर रवानी अब जीवित नहीं है, तब वह बाइक और कार से निकल भागे. कार को भी पुलिस ने धनबाद के गोविंदपुर से बरामद कर लिया है. जिस शंकर रवानी हत्याकांड के तह तक पहुंचने के क्रम में पुलिस को यह उपलब्धि मिली है, उसके तार सीधे तौर पर धनबाद से भी जुड़ गए है. धनबाद के गोविंदपुर से घटना में प्रयुक्त कार को पुलिस ने बरामद कर लिया है. शंकर रवानी हत्याकांड में पुलिस ने धनबाद में भी कई जगहों पर छापेमारी की थी. वीरेंद्र प्रसाद का धनबाद में भी ठिकाना था. सिर्फ बोकारो पुलिस के हाथ एके-47 ही नहीं लगा है, बल्कि अत्याधुनिक विदेशी कई छोटे-बड़े हथियार भी लगे है. बोकारो के एक आवास से एके-47 के साथ दो मैगजीन, 92 राउंड गोली, एक कार्बाइन के साथ दो मैगजीन, एक राइफल, एक सिक्सर, चार पिस्तौल, 0.38 की 60 गोली, 9 एमएम की 100 राउंड गोली के अलावा 65 कार्टून विदेशी शराब भी जब्त हुए है. बता दे कि धनबाद के लोगों ने पहली बार 1991 में एके -47 देखा था.
एके-47 से ही जांबाज एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की हत्या की गई थी
उस समय धनबाद के जांबाज एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की आतंकियों ने एके-47 से ही हत्या कर दी थी. आतंकवादियों के एके-47 का माउजर छत से भागने के क्रम में जमीन पर गिर गया था और जिस समय वह पकड़े गए, उस समय उनके एके-47 में मैगजीन नहीं थे. पुलिस ने घेर कर उन्हें दबोच लिया था. लेकिन बोकारो के घर में एक -47 छुपा कर रखना यह बताता है कि यह गैंग कोई साधारण गैंग नहीं है. इसके तार सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बाहर के गिरोह से भी जुड़े हो सकते है. यह अलग बात है कि धनबाद में कोयले के धंधे में वर्चस्व के लिए गोली-बम चलते है. लोगों की जानें ली जाती है. तो बोकारो में ऐश पौंड से फ्लाई ऐश की ट्रांसपोर्टिंग के लिए कत्ल होता है. 18 जुलाई को जिस शंकर रवानी की निर्ममतापूर्वक हत्या करा दी गई थी, वह भी फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टिंग से जुड़ा हुआ था और इस धंधे का दबंग बताया गया था. उसकी दबंगई को खत्म करने के लिए ही दूसरे ग्रुप ने बाहर से शूटरों को हायर किया और रास्ते से हमेशा-हमेशा के लिए हटाने की व्यवस्था कराई.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो