धनबाद(DHANBAD): देश की सबसे बड़ी झरिया पुनर्वास योजना को और लचीला और कारगर बनाने की पुख्ता तैयारी कर ली गई है. रांची में बुधवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया है. अधिकांश विवादित मुद्दों पर सहमति बन गई है, कुछ पेंच हैं, जिन पर एक मत होना बहुत कठिन नहीं है. रांची में बुधवार को जो ड्राफ्ट बना है ,सूत्रों के मुताबिक अब एक लाख चार हजार लोगों का पुनर्वास होगा और इसकी तिथि 2018 होगी. झरिया में रैयत और गैर रैयत दोनों को राहत पैकेज की तैयारी की गई है .
एक महत्वपूर्ण बात यह सामने आई है कि 2018 तक झरिया के किसी भी इलाके में जो लोग जमीन लेकर रह रहे हैं उन्हें एक मुश्त साढ़े सात लाख का भुगतान किया जाएगा. शर्त रहेगी कि जिला प्रशासन को इसका जियो टैगिंग केंद्र सरकार को भेजना होगा. इसी तरह रयतो को लैंड एक्विजिशन रिसेटेलमेंट एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट के तहत भुगतान होगा. झरिया इलाके में बहुत सारे लोग बीसीसीएल के आवासों में अवैध कब्जा कर रहे हैं, उन्हें फोर्सफुली खाली कराने का खाका तैयार किया गया है.
महत्वपूर्ण निर्णय यह भी हुआ है कि झरिया पुनर्वास एवं प्राधिकार को अब कानूनी अधिकार भी दिया जा सकता है. खाका के मुताबिक इसके लिए CEO की नियुक्ति होगी, जो धनबाद के उपायुक्त को रिपोर्ट करेंगे. पुनर्वास के लिए जो निर्माण कार्य चल रहे हैं ,उनमें तेजी लाने को कहा गया है. जो लोग घर के बदले घर ले लेंगे, उन्हें घर दिया जाएगा और जो नहीं लेंगे उन्हें साढ़े सात लाख एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. रयतो के लिए एक्ट के अनुसार भुगतान होगा.
देश में 80% से अधिक कोकिंग कोयले का आयात हो रहा
बता दें कि मिशन कोकिंग कोल के कारण झरिया शहर अभी कोयला मंत्रालय की प्राथमिक सूची में है. विदेशों से कोकिंग कोल का आयात बहुत महंगा पड़ रहा है. इस वजह से कोयला मंत्रालय झरिया पर फोकस कर रहा है. झरिया के नीचे विश्व की सर्वश्रेष्ठ क्वालिटी का कोकिंग कोल है और यह कोकिंग कोल स्टील प्लांट के लिए संजीवनी से कम नहीं है. देश के अन्य हिस्सों में कहीं-कहीं कोकिंग कोल के पैच तो हैं लेकिन झरिया में कोकिंग कोल की मात्रा सर्वाधिक है, और इसकी गुणवत्ता भी अव्वल दर्जे की है .अभी देश में 80% से अधिक कोकिंग कोयले का आयात हो रहा है, जिसकी लागत बहुत अधिक है. इस कारण स्टील प्लांटों पर भी दबाव बढ़ रहा है .बाहर हाल ड्राफ्ट सूची को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा और कोयला मंत्रालय को जाएगा. उसके बाद कैबिनेट से स्वीकृत होने के बाद झरिया पुनर्वास का काम इसके अनुसार शुरू होगा. झरिया पुनर्वास की अवधि पिछले वर्ष ही खत्म हो गई है. लगातार तीन चार बार बैठक टलने के बाद दिल्ली में अभी हाल ही में बैठक हुई थी. जिसमें उठाए गए मुद्दों पर विचार करने के लिए बुधवार को रांची में बैठक हुई और ड्राफ्ट पर लगभग सहमति बनी.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद