देवघर (DEOGHAR) : झारखंड में काला हीरा यानी कोयला की कालाबाज़ारी हमेशा चर्चा में रहती है. इसके कारोबार में संलिप्त माफियाओं के बीच अंतराल पर खूनी संघर्ष का मामला भी प्रकाश में आते रहता है. प्राकृतिक खनिज की हो रही करोड़ों की चोरी पर अंकुश लगाना राई के पहाड़ जैसा है. चोरी से प्रत्येक माह सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व की हानि भी हो रही है. ऐसा ही हाल देवघर के चितरा कोलियरी का भी है. ईसीएल (ecl) का यह ओपेन कास्ट माइंस से प्रत्येक माह करोड़ों रूपये का कोयला की तस्करी की जा रही है. लेकिन इसपर न तो ecl के सुरक्षाकर्मी,कोलियरी में प्रतिनियुक्त cisf और न ही झारखंड पुलिस चोरी पर अंकुश लगाने में कामयाब हो रही है.
कोयला उत्खनन और राजस्व में आई 3 प्रतिशत की कमी
देवघर के चितरा स्थित एसपी माइंस कोलियरी का हाल ऐसा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अभी तक लगभग कोयला उत्खनन और राजस्व में 3 प्रतिशत की कमी आई है. चितरा कोलियरी के जीएम सलिल कुमार ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 21-22 में जहां 5: 25 लाख टन कोयला की जगह इस वित्तीय वर्ष 22-23 में अबतक 5.13लाख टन ही कोयला का उत्खनन हुआ है. फिर भी इस माइंस के जीएम को उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में लक्ष्य 12 लाख टन का कोयला उत्खनन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा. इन्होंने बताया कि अभी तक विभागीय उपकरण का इस्तेमाल करके कोयले का उत्खनन किया जाता रहा है. लेकिन हाल ही एक कंपनी को बड़ी खान से उत्खनन का कार्य आवंटित होने से ecl को अगले साल से 16 लाख टन कोयले का उत्खनन हो सकेगा.
सरकार को हो रही राजस्व की हानि
जीएम ने बताया कि 21-22 में 59 करोड़ का घाटा लगा था, लेकिन इस वर्ष 30 सितंबर तक चितरा माइंस को 73 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. इन्होंने उम्मीद जताई है कि इस वित्तीय वर्ष में इस कोलियरी को करीब 150 करोड़ का प्रॉफिट हो सकता है. बहरहाल ये तो माइंस की कमाई की बात हुई लेकिन कोयला चोरी होने से राजस्व की हानि रोकने पर इनके पास भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. ऐसे में अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कोयला के अवैध खेल में स्थानीय से लेकर प्रबंधन तक की मिलीभगत से इंकार भी नहीं किया जा सकता. कोयला के अवैध खेल से सरकार को राजस्व की भी हानि हो रही है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर