दुमका(DUMKA):विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव बीजेपी को प्राप्त है.भारतीय जनता पार्टी को अनुशासित पार्टी माना जाता है.ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी कार्यकर्ता संगठन के साथ कदम ताल करते हैं, लेकिन ये क्या? लगता है झारखंड की उपराजधानी दुमका में बीजेपी को किसी की नजर लग गयी है? इन दिनों विरोधी से ज्यादा बीजेपी को अपने ही कार्यकर्ताओं से परेशानी हो रही है.कई गुटों में बंटी बीजेपी कार्यकर्ताओं के नित नए कारनामे उजागर हो रहे हैं.
विरोध प्रदर्शन के बाद शुरू हुआ मारपीट का दौर, मामला पहुचा थाना, प्राथमिकी दर्ज
दुमका में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद अब नौबत मारपीट और थाना तक पहुंच गया है. विभिन्न मंडलों में बीजेपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद ताजा मामला शिकारीपाड़ा का है, जहां 19 अगस्त को पार्टी की बैठक में भाग लेने गए जिला उपाध्यक्ष बबलू मंडल के साथ मारपीट और छिनतई की गई.आरोप अपने ही पार्टी के कार्यकर्ता सुकुमार मंडल और दिलीप सिंह पर लगा है. बबलू मंडल के लिखित शिकायत पर दोनों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। वहीं 21 अगस्त को शिकारीपाड़ा प्रखंड के अनुसूचित जाति के प्रखंड अध्यक्ष दिनेश मिर्धा ने बबलू मंडल, शिकारीपाड़ा पश्चिमी मंडल अध्यक्ष तरुण नंदी तथा पूर्वी मंडल अध्यक्ष सुभाशीष चटर्जी के खिलाफ मारपीट और छिनतई के आरोप में शिकारीपाड़ा थाना में मामला दर्ज कराया है.
जिला कमिटी ने की घटना की निंदा, प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराने का फैसला
मामले की गंभीरता को देखते हुए बीजेपी जिला अध्यक्ष गौरव कांत, पूर्व जिला अध्यक्ष निवास मंडल और दुमका विधानसभा प्रभारी सत्येंद्र की संयुक्त अध्यक्षता में मंगलवार को एक बैठक बुलाई गई, जिसमें 19 अगस्त को शिकारीपाड़ा में पार्टी के जिला उपाध्यक्ष बबलू मंडल के साथ किए गए अभद्र व्यवहार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में प्रदेश नेतृत्व से मांग की गई की कार्यकर्ता दिलीप सिंह और सुकुमार मंडल को बीजेपी के प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए यथाशीघ्र कड़ी कार्रवाई की जाए.यह भी निर्णय लिया गया कि बीजेपी जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी का एक शिष्टमंडल प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एवं बीजेपी संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह से मिल कर पूरी घटना से अवगत कराएगा.
बीजेपी में गुटबाजी कोई नई बात नहीं, समय के साथ बढ़ता गया गुट
दुमका बीजेपी में गुटबाजी कोई नई बात नहीं.लेकिन कभी भी गुटबाजी समाप्त करने की दिशा में ईमानदारी पूर्वक पहल नहीं किया गया. समय के साथ गुट का नेतृत्व करने वालों की संख्या बढ़ते गया.वर्तमान समय में यहां 5 गुट क्रियाशील है.गुटबाजी का ही नतीजा है कि वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद बीजेपी एक भी चुनाव नहीं जीत पाया है. 2019 का विधान सभाचुनाव हो या फिर 2020 का विधानसभा उपचुनाव बीजेपी को पराजय का ही सामना करना पड़ा. 2024 का लोकसभा चुनाव भी गुटबाजी के भेंट चढ़ गया. अब तो आलम यह है की कार्यकर्ता आपस मे मारपीट करने लगे है. एक दूसरे के खिलाफ थाना में मुकदमा कर रहे हैं. वो भी तब जबकि कुछ महीने बाद झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है.प्रदेश नेतृत्व अगर अब भी समस्या का समाधान नहीं करती है तो जरा कल्पना कीजिए विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा के बाद क्या हाल होगा और चुनाव परिणाम क्या होगा?
रिपोर्ट-पंचम झा