टीएनपी डेस्क(TNP DESK): The News Post ने 29 अप्रैल को "चुनावी तपिश के बीच सीता सोरेन की अग्नि परीक्षा, विपक्षी के साथ सीधी लड़ाई तो अपनों को एक मंच पर लाने की है चुनौती" शीर्षक से खबर लिखा था. जिसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि भाजपा द्वारा जारी स्टार प्रचारकों की सूची में दुमका के निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन को जगह ना देना कहीं भाजपा को भारी ना पड़ जाए. The News Post की खबर पर भाजपा ने संज्ञान लेते हुए स्टार प्रचारकों की संसोधित सूची जारी किया है जिसमें सुनील सोरेन का नाम जोड़ा गया है.
हिंदी में दो मुहावरा काफी प्रचलित है. एक है जख्म पर मरहम लगाना तो दूसरा है जख्म पर नमक छिड़कना. वैसे तो दोनों ही मुहावरा का अर्थ एक दूसरे के विपरीत होता है लेकिन कभी कभी ऐसा वाकया होता है जब यह बताना मुश्किल हो जाता है कि जख्म पर मरहम लगाया गया या नमक छिड़का गया. दुमका की राजनीति में बहुत कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है.
दिशोम गुरु शीबू सोरेन को पराजित कर सांसद बने थे सुनील, माना जा रहा था संथाल समाज का बड़ा चेहरा
हम बात कर रहे है दुमका के निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन की. वर्ष 2019 में झमुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन को पराजित कर भाजपा के टिकट पर सुनील सोरेन दुमका के सांसद निर्वाचित हुए. दिशोम गुरु को पराजित करने के कारण सुनील सोरेन को संथाल समाज का बड़ा नेता माना जाने लगा. उस वक्त मंत्रिमंडल में सुनील सोरेन को जगह देने की मांग भी होने लगी. मंत्रालय तो नहीं मिला लेकिन सुनील सोरेन ने अपने 5 वर्षों के कार्यकाल को बखुबी अंजाम दिया.
वर्ष 2024 में सुनील सोरेन को टिकट देकर किया गया बेटिकट
देखते ही देखते 5 वर्ष बीत गया और आ गया वर्ष 2024 का लोक सभा चुनाव. निर्वाचन आयोग द्वारा जब चुनाव की घोषणा की गई तो दुमका लोकसभा क्षेत्र में अंतिम चरण यानी 1 जून को मतदान की तिथि निर्धारित की गई. भाजपा द्वारा जब प्रत्याशी की पहली सूची जारी की गई तो उस सूची में पार्टी ने सुनील सोरेन पर भरोशा जताते हुए दुमका के दंगल में प्रत्याशी बना कर उतारा. लेकिन उसके बाद दुमका की राजनीति बड़ी तेजी से करवट ली. झमुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन की बड़ी पुत्रबधू सह जामा से तीन टर्म की विधायक सीता सोरेन ने पार्टी और परिवार से बगावत कर तीर धनुष छोड़ कमल पर सवार हो गयी. सीता सोरेन के भाजपा जॉइन करते ही अटकलों का दौर शुरू हुआ. कयास लगाए जाने लगे कि सुनील सोरेन का टिकट कट सकता है. आखिरकार वही हुआ. पार्टी आला कमान ने सुनील सोरेन से टिकट वापस लेते हुए सीता सोरेन को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी दंगल में उतार दिया. सुनील सोरेन ने आला कमान के इस निर्णय को स्वीकार्य करते हुए अपने समर्थकों से भी स्वीकार्य करने की अपील की.
टिकट काट कर लोक सभा चुनाव की गतिविधि से सुनील सोरेन को रखा गया दूर, स्टार प्रचारक की सूची में भी नहीं मिला जगह
उसके बाद पार्टी ने सुनील सोरेन को हाशिए पर धकेल दिया. संथाल समाज का बड़ा चेहरा सुनील सोरेन को लोक सभा चुनाव में राजमहल विधान सभा का प्रभारी बनाया गया. सुनील सोरेन भी पार्टी के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चलने लगे. पार्टी के प्रदेश या केंद्रीय नेता के कार्यक्रम में ही वे नजर आते थे. बात यहीं समाप्त नहीं हुई. पार्टी द्वारा जख्म पर नमक छिड़कने का कार्य तब किया गया जब झारखंड में स्टार प्रचारकों की सूची जारी किया गया. उस सूची में भी सुनील सोरेन को जगह नहीं दिया गया. जबकि संथाल परगना प्रमंडल से ही सीता सोरेन, लुइस मरंडी, रणधीर सिंह सहित कई नेता को स्टार प्रचारक बना दिया गया.
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स्टार प्रचारक की संसोधित सूची में नाम जोड़कर सुनील के जख्म पर लगाया गया मरहम या छिड़का गया नमक!
झामुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन को चुनावी दंगल में पराजित कर सांसद बने सुनील सोरेन को जब स्टार प्रचारक की सूची में जगह नहीं मिला तो क्षेत्र में तरह तरह की चर्चा होने लगी. पार्टी आलाकमान को भी शायद अपनी गलती का एहसास हुआ हो. तभी तो स्टार प्रचारको की संसोधित सूची जारी कर सुनील सोरेन के जख्म पर मरहम लगाने का प्रयास किया गया.
नई जिम्मेदारी का किस रूप में निर्वाहन करेंगे सुनील सोरेन
संसोधित सूची में सुनील सोरेन का नाम जोड़ा गया. अब स्टार प्रचारक के रूप में सुनील सोरेन के लिए पार्टी आलाकमान का क्या निर्देश रहता है फिलहाल यह बताना मुश्किल है. सुनील सोरेन इस नई जिम्मेदारी का निर्वहन किस रूप में करते हैं यह समय के गर्त में है. क्या सीता सोरेन के लिए वोट मांगते नजर आएंगे सुनील सोरेन? लेकिन सवाल अनुत्तरित रह गया कि जख्म पर नमक छिड़का गया या फिर मरहम लगाया गया.
रिपोर्ट: पंचम झा