धनबाद(DHANBAD: )चर्चा तेज है कि फरवरी नहीं, अब नए साल के पहले महीने में ही झारखंड भाजपा के संगठन में बदलाव हो सकता है. इसके लिए दिल्ली में बैठक भी हो गई है. झारखंड में संगठन बदलाव पर चिंता से छोटे से लेकर बड़े नेता दुबले हो रहे है. इस बीच के घटनाक्रम ने छोटे नेताओं -कार्यकर्ताओ की आस्था भी बदल दी है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड की सक्रिय राजनीति में लौटने वाले है. ऐसे में कयास यही है कि वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकते है. इसको लेकर छोटे-बड़े सभी नेता शुभकामना के बहाने उनके पास पहुंच रहे है. सवाल यह भी है कि क्या नए साल के पहले महीने में ही झारखंड में भाजपा की राजनीति बदलनी शुरू हो जाएगी. भाजपा फिलहाल झारखंड में जोर-जोर से संगठन पर्व मना रही है. धनबाद के लगभग सभी छोटे-बड़े भाजपा के नेता रघुवर दास से मुलाकात की है. नेताओं ने अपने चेहरे का रिन्युअल कराया है.
धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा भी रघुवर दास से मिल चुके है. एक तरह से कहा जा सकता है कि रघुवर दास से मिलने वालों का तांता लगा हुआ है. यह बात तो तय है कि संगठन में बदलाव होगा, तो नीचे स्तर तक के जिला अध्यक्ष बदले जा सकते है. यह बात भी सच है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है. इस हार की वजह संगठन की कमजोरी भी मानी गई है. इस हार की भरपाई के लिए भाजपा अब ओबीसी कार्ड खेलने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. यह बात भी सच है कि रघुवर दास विधानसभा चुनाव के पहले ही सक्रिय राजनीति में झारखंड लौटना चाहते थे. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद वह झारखंड की सक्रिय राजनीति में लौट आए है. अभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी है.
दरअसल, 2019 में हार के बाद भाजपा ने आदिवासी चेहरा पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और इसके लिए बाबूलाल मरांडी की पार्टी को भाजपा में शामिल करा लिया गया. उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. फिर भी 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त मिली. अब भाजपा ओबीसी की राजनीति की ओर बढ़ चली है. यह चर्चा भी तेज है कि धनबाद में भी भाजपा बदलेगी. वैसे, धनबाद में भी भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है. धनबाद सीट पर तो भाजपा वापस लौटी , झरिया सीट भी इस बार भाजपा को मिल गई है. बाघमारा सीट पर भी भाजपा फिर काबिज होने में सफल हुई है. लेकिन निरसा , सिंदरी और टुंडी सीट पर भाजपा को हार मिली है. धनबाद में भी भाजपा का संगठन बदल जाए, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो