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संथाल में भाजपा को झटका पर झटका: एक तो विधानसभा में सीट नहीं मिली, फिर ताला ने पार्टी छोड़ी, अब आगे क्या?

संथाल में भाजपा को झटका पर झटका: एक तो विधानसभा में सीट नहीं मिली, फिर ताला ने पार्टी छोड़ी, अब आगे क्या?

धनबाद(DHANBAD):  अभी तो लोकसभा चुनाव में ही ताला मरांडी भाजपा का गुणगान करने से नहीं थक रहे थे.  राजमहल से वह भाजपा के प्रत्याशी थे.  यह  अलग बात है कि राजमहल से वह चुनाव हार गए.  अब वह भाजपा को छोड़कर झामुमो  में शामिल हो गए है.  मतलब हेमलाल मुर्मू के बाद ताला मरांडी भी घर वापसी की है. ताला  मरांडी के बाद अब संथाल से कौन भाजपा छोड़ेगा ,इसकी भी अटकले तेज है.  ताला मरांडी की भी राजनीतिक जीवन की शुरुआत झामुमो  से हुई थी.  लेकिन कई पार्टियों से  घूमते हुए फिर वह झामुमो  में चले गए है. 

ताला मरांडी ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है
 
झामुमो  में जाकर ताला मरांडी ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है.  कोई कह सकता है कि संथाल परगना में ताला मरांडी का बहुत कुछ राजनीतिक प्रभाव नहीं था.  लेकिन इस बात से कौन इंकार करेगा कि भाजपा के आदिवासी नेता नहीं थे.   वैसे भी भाजपा संथाल परगना में संघर्ष कर रही है.  संघर्ष तो फिलहाल वह समूचे झारखंड में कर रही है.  विधानसभा चुनाव में भाजपा को संथाल के 18 में से केवल एक सीट हाथ लगी.  अब तो ताला मरांडी भी भाजपा छोड़ चुके है.  भोगनाडीह  में ताला मरांडी को झामुमो  में शामिल करा  कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा को यह बता दिया है कि संथाल की राह कठिन है.  वैसे संथाल परगना को लेकर भाजपा, जो भी प्रयास करती है, बहुत सफल नहीं हो पता. 

सीता सोरेन को पार्टी में शामिल कराने का कोई फ़ायदा नहीं दिखा 
 
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा में शामिल कराकर बड़ा संदेश देने की भाजपा  ने कोशिश की.  लेकिन इसका भी बहुत फायदा भाजपा को नहीं मिला.  सीता सोरेन दुमका लोकसभा से तो चुनाव हार ही गई, फिर जामताड़ा से विधानसभा चुनाव भी हार  गई.  संथाल परगना में लोबिन  हेंब्रम को भी भाजपा ने अपने पाले  में किया.  लेकिन बहुत लाभदायक नहीं रहा.  बाबूलाल मरांडी फिलहाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है.  ऐसे में ताला मरांडी का पार्टी छोड़ना , उनके लिए भी नुकसान देह  बताया जा सकता है.  ताला मरांडी को झामुमो में  शामिल करा  कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा को यह संदेश दिया है कि केवल संथाल ही  नहीं ,बल्कि पूरे झारखंड में राह कठिन है.  अगर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की बात कर ली  जाए, तो चंपई सोरेन के भी पार्टी में शामिल होने का बहुत फायदा भाजपा को नहीं मिला.  यह  अलग बात है कि चंपई सोरेन अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो  

Published at:12 Apr 2025 10:31 AM (IST)
Tags:DhanbadSanthalJMMBJPJhatkaTala Marandi Bjp jharkhand Bjp party Jmm
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