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हमेशा याद आयेंगे बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो, जिंदगी में दया और सेवा की पेश की मिसाल

हमेशा याद आयेंगे बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो, जिंदगी में दया और सेवा की पेश की मिसाल

टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-एशिया के पहले आदिवासी विशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो इस दुनिया में तो अब नहीं है. लेकिन, उनकी पूरी जिंदगी मानव सेवा, दया और ईश्वर के बताए मार्ग पर चलने की नसीहतों भरी रही. 4 अक्टूबर को 84 साल की उम्र में टोप्पो ने अंतिम सांस ली औऱ हमेशा-हमेशा के लिए अपना शरीर त्याग दिया. रांची के पुरुलिया रोड स्थित संत मारिया महागिरिरजाघर में उन्हें दफनाया गया. उनकी मकबूलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, जब वे दुनिया से रुखसत हुए, तो मांडर स्थित अस्पताल से रांची के पुरुलिया रोड स्थित संत मेरी महागिरजाघर तक 33 किलमोटीर तक मानव श्रृंखला बनाई गई औऱ कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की अंतिम यात्रा निकाली गई. जिसमे हजारो मसीही धर्म अवलंबियों की मौजूदगी के साथ-साथ कई जानी मानी हस्तियों ने भी शिरकत की.

एशिया के पहले आदिवासी विशप

कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो एशिया के पहले आदिवासी विशप थे. उनका जन्म 15 अक्टूबर 1939 को झारखंड के गुमला जिले के चैनपुर में 15 अक्टूबर 1939 को हुआ. आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले टोप्पो घर में दस भाई-बहानो में आंठवें स्थान पर थे. बचपन से ही उनका स्वभाव मानव की सेवा करना और ईश्वर के प्रति आस्था रखने वाला था.   

संत जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई

कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो रांची के मशहूर सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से बीए इंग्लिश में ऑनर्स किया. इसके बाद एमए की पढ़ाई इतिहास विषय से रांची विश्वविद्यालय से पूरी की. इसके बाद दर्शन शास्त्र की पढ़ाई संट अल्बर्ट कॉलेज से की. इसके बाद दर्शन शास्त्र की पढ़ाई करने के लिए रोम के पोनटिफिकल अर्बन यूनिवर्सिटी भेजा गया .

स्विटजरलैंड में पुरोहित के तौर पर अभिषेक

स्विटरलैंड के बसेल में 8 मई 1969 को विशप फ्रांसिस्कुस ने एक पुरोहित के रुप में तेलेस्फोर पी टोप्पो का अभिषेक किया. वे युवा पुरोहित के तौर पर उनका आगमन हुआ और तोरपा के सेंट जोसफ स्कूल के हेडमास्टर और लिवेन्स वोकेशनल सेंटर के निर्देशक बनें. इसके बाद टोप्पो को दुमका का विशप नामित किया गया. 8 नवंबर 1984 को उन्हें झारखंड राज्य की राजधानी रांची का कोएजजुटर आर्कबिशफ नियुक्त किया गया. वे 7 अगस्त 1985 को वहां आर्कबिशप बनें.   

पोप जॉन पॉल द्वितीय ने बनाया कार्डिनल

पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 21 अक्टूबर 2003 को कार्डिनल पुजारी बनाया. वे एशिया के पहले आदिवासी विशप थे, जिन्हें ये उपलब्धी मिली थी. इसके साथ ही भारत के तीसरे कार्डिनेल थे. टोप्पो को 2006 में दो अवसरों पर भारत के कैथोलिक विशप सम्मेलन के दो वर्षीय अध्यक्ष के रुप में चुना गया था. वे भारत के कैथोलिक विषप सम्मेलन के अध्यक्ष के रुप में भी काम किया. उनकी अहमियत औऱ कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे कार्डनिल निर्वाचकों में से एक थे, जिन्होंने 2013 के पोप सम्मेलन में भाग लिया था औऱ जिसमे पोप फ्रांसिस का चयन किया गया था.

अपने 84 साल की जिंदगी में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कई कामयाबियां की इबारत लिखी. हमेशा इंसानियत को पहले रखा और सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म माना. दया,प्रेम और सेवा के बिना संसार अधूरा है औऱ यही जिंदगी का असली फलसफा है. इस बात को वह समझते थे . इसे ही मानव धर्म की पूजा समझकर टोप्पो ने लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया औऱ उनकी तकदीर संवारने की कोशिश की . आज तो कार्डिनल हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गये.  लेकिन, उनके बताए मार्ग आने वाले पीढ़ियों को नया रास्ता दिखाएगी. जिनके बनाए राह पर चलकर इंसान असली जिंदगी जी सकेगा.

Published at:11 Oct 2023 02:22 PM (IST)
Tags:Bishop Cardinal Bishop Cardinal Telesphore P. Toppo Telesphore_ToppoTelesphore P. ToppoTelesphore P. Toppo life
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