पटना (PATNA): राज्य में प्रतिदिन हो रही बालू की कीमत में बढ़ोत्तरी से घर निर्माण करवाने वाले लोग परेशान हैं. ऐसे में अगर किसी का फायदा हो रहा है तो वैध और अवैध तरीके से बालू खनन कराने वाले कारोबारियों का. बता दें कि, बालू घाटों के भंडारण स्थल पर बालू की लागत करीब 1250 रुपए के हिसाब से तीन गुना है. वहीं, घाटों से बालू निकलने पर कारोबारियों से जुड़े खुदरा विक्रेताओं को भी मुनाफा हो रहा है. कारोबारियों और विक्रेताओं के मुनाफे के चक्कर में यही बालू कोइलवर से पटना करीब 35 किमी आने पर करीब आठ हजार रुपए में आम लोगों को मिल रहा है. ऐसे में बंदोबस्तधारी बालू की लागत का कम से कम दो से तीन गुना मुनाफा कमा रहे हैं.
घनमीटर की जगह सीएफटी में बालू बेच रहे ठेकेदार
लाल बालू जिसका खनन सोन, चानन, मोरहर, किऊल और फल्गु नदियों से किया जाता है, उसका रॉयल्टी दर 150 रुपये प्रति घन मीटर है. वहीं, अन्य बालू की रॉयल्टी दर 75 रुपये प्रति घन मीटर है. इसके अलावा भंडारण स्थल तक बिक्री के लिए बालू लाने में ठेकेदारों को करीब दोगुना खर्च उठाना पड़ता है. ऐसे में लाल बालू की लागत करीब 450 रुपये प्रति घनमीटर हो जाती है. यही बालू फिर ठेकेदारों द्वारा घनमीटर की जगह सीएफटी में बेचा जाता हैं.
चार महीनों में हुई 6095 छापेमारी
अवैध खनन के खिलाफ राज्य में वित्तीय वर्ष के शुरुआती चार महीनों में हुई 6095 छापेमारी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है की अवैध कारोबारियों का दायरा रुकने की जगह बढ़ता ही जा रहा है. इन चार महीनों में अवैध खनन के खिलाफ 375 गिरफ्तारी और दंड के रूप में 43.44 करोड़ की राशि वसूली गयी है. साथ ही 832 प्राथमिकी दर्ज होने के साथ 3462 वाहनों की जब्ती भी की गयी है. वहीं, पिछ्ले साल की बात करे तो 2022-23 में बालू के अवैध खनन के खिलाफ 4435 एफआइआर दर्ज की गयी थी. बीस हजार से ज्यादा वाहन जब्त करने के साथ-साथ 2439 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.