धनबाद(DHANBAD) : बिहार में सियासी हलचल मची हुई है. सीएम नीतीश कुमार तो कह रहे हैं कि अब वह जहां है, वहां से इधर-उधर नहीं जाएंगे. लेकिन इसके पीछे कुछ कहानियां है. जिस वजह से लोगो का भरोसा जम नहीं रहा है. इस बीच रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार की राजधानी पटना पहुंच रहे है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर है. सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या अमित शाह के दो दिवसीय बिहार दौरे में नीतीश कुमार से मुलाकात हो पाती है अथवा नहीं? 6 जनवरी को भी अमित शाह बिहार में ही रहेंगे. बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है. एनडीए और इंडिया गठबंधन तैयारी के साथ-साथ राजनीतिक तीर भी चला रहे है.
खबर है कि नीतीश कुमार चल रहे है नाराज
यह भी खबरें चल रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज चल रहे हैं और "डैमेज कंट्रोल" करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे है. जानकारी के अनुसार अमित शाह रविवार को पूर्व भाजपा सांसद सुशील मोदी की जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इसके बाद वह पटना स्थित गुरुद्वारा साहिब भी जाएंगे. अमित शाह बीजेपी के राज्य यूनिट के बड़े नेताओं से मुलाकात भी कर सकते है. लेकिन नजरें सबकी इस पर टिकी हुई है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हो पाती है अथवा नहीं? अगर नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात होती है, तब तो बिहार की सियासत में चल रहे अटकलों पर फिलहाल विराम लग जाएगा.
सबकी नज़ारे टिकीं है कि बिहार में दोनों की मुलाकात हो पाती है क्या
लेकिन अगर अमित शाह, नीतीश कुमार से बिना मिले लौट गए तो नीतीश की नाराजगी के कयासों को और ज्यादा बल मिल सकता है. पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली गए थे. इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के चलते उनके आवास पर जाकर परिजनों से मुलाकात की. पहले खबर आई कि नीतीश कुमार की मुलाकात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से हो सकती है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद यह भी कहा गया कि वे भाजपा के अध्यक्ष से मिल सकते है. लेकिन यह मुलाकात भी नहीं हुई. नतीजा हुआ कि वह बीजेपी के किसी बड़े नेता से मिले बिना पटना लौट आये. यहां यह कहना भी जरूरी है कि दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर एनडीए की बैठक हुई थी. उसमें एनडीए के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. लेकिन नीतीश कुमार कहीं नजर नहीं आये. इसके बाद यह सवाल उठाना बहुत स्वाभाविक है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी के साथ ठीक महसूस कर रहे हैं? और क्या एक बार फिर वह पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं?
लालू प्रसाद यादव के "ऑफर" के बाद तेज हुई सियासत
बीजेपी और नीतीश कुमार के नाराजगी के खबरों के बीच लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि नीतीश के लिए हमारा दरवाजा हमेशा खुला है और नीतीश को भी खोल कर रखना चाहिए. उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश साथ आते हैं तो उन्हें हम क्यों नहीं लेंगे, नीतीश साथ में आए और काम करे. हालांकि लालू यादव के इस ऑफर पर तेजस्वी यादव ने कहा था- कि लालू जी ने ऐसी बात मीडिया को शांत करने के लिए कही थी. यह बात तो तय है कि महाराष्ट्र में जो हुआ, उसको लेकर बिहार में भी कई तरह की चर्चाएं है. बीजेपी को अधिक सीट मिलने पर अपना सीएम बना दिया. इस फार्मूले को अगर बिहार में लागू किया जाए तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रह सकते है. वैसे अमित शाह यह कह चुके हैं कि बिहार में सीएम का फैसला चुनाव के बाद होगा. उसके बाद भाजपा के राज्य यूनिट के सभी बड़े नेता कहते रहे कि एनडीए के नेता बिहार में नीतीश कुमार ही होंगे. जो भी हो लेकिन सवाल यही है कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के "चाणक्य" कहे जाने वाले अमित शाह बिहार में हुए या हो रहे डैमेज को कितना कंट्रोल कर पाते है. इस पर सबकी नज़रें टिकी रहेंगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो