धनबाद(DHANBAD): झारखंड के बड़े भाई बिहार में किसी भी तरह की हलचल या चर्चा हो और वह धनबाद तक नहीं पहुंचे, ऐसा हो नहीं सकता है. धनबाद में फिलहाल बिहार के काराकाट और पूर्णिया लोकसभा सीट की खूब चर्चा चल रही है. लोग गुणा -भाग कर रहे है. राजद के तमाम विरोध के बावजूद पूर्णिया से निर्दलीय पप्पू यादव चुनाव जीत गए है. इधर, काराकाट से भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह तो चुनाव हार गए हैं लेकिन एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के हार का बहुत बड़ा कारण बने है. उपेंद्र कुशवाहा से अधिक वोट निर्दलीय पवन सिंह को मिला है. यह अलग बात है कि वहां से गठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह चुनाव जीत गए है. उपेंद्र कुशवाहा को 2.,53,000 वोट मिले हैं जबकि पवन सिंह को 2,74,723 मत प्राप्त हुए है. इसी प्रकार जीते राजाराम सिंह को 3,80, 581 वोट मिले है. सवाल यह नहीं है कि काराकाट से पवन सिंह हार गए. पवन सिंह अगल-बगल की सीटों पर भी प्रभाव डाला. आरा, बक्सर और सासाराम की सीट भी भाजपा को गंवानी पड़ी. अब जाकर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी चुपी तोड़ी है.
सबको मालूम है कि काराकाट में क्या हुआ
उन्होंने कहा है कि सबको पता है कि काराकाट में क्या हुआ. सवाल किया कि पवन सिंह फैक्टर बने या उन्हें बनाया गया, यह सबको मालूम है. किसने बनाया, इस पर उनका जवाब था कि बच्चा-बच्चा यह जानता है. आजकल सोशल मीडिया का जमाना है. हाई टेक्नोलॉजी है. सब लोगों को सब कुछ मालूम है. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा काराकाट लोक सभा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे और केंद्रीय मंत्री बने थे. इस बार एनडीए ने उन्हें एक बार फिर काराकाट से उम्मीदवार बनाया था. काराकाट में पहली जून को मतदान हुआ. उनके मुकाबले महागठबंधन से राजाराम सिंह उम्मीदवार बनाए गए. नामांकन के अंतिम समय भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह भी निर्दलीय उम्मीदवार बन गए. पहले सबको लगा कि पवन सिंह मना लिए जाएंगे, लेकिन उनके नहीं मानने पर भाजपा ने पवन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया. बावजूद पवन सिंह खड़े रहे और 2,74,000 से अधिक वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे. पवन सिंह को भाजपा ने पहले धनबाद से सटे बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उन्होंने बाद में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. वह आरा लोकसभा सीट से टिकट चाह रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं मिला.
नहीं माने पवन सिंह और बिगड़ दिया खेल
फिर वह काराकाट से निर्दलीय चुनाव में खड़े हो गए. यह अलग बात है कि पवन सिंह को चुनाव हट जाने के लिए मनाने की भी कोशिश की गई. लेकिन बात नहीं बनी. बिहार के पूर्णिया सीट पर भी लड़ाई जबरदस्त रही. पप्पू यादव के आगे राजद को मुहकी कहानी पड़ी. चुनाव के पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. लेकिन यह सीट राजद के खाते में चली गई. पप्पू यादव ने राजद से टिकट लेने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए. राजद ने बीमा भारती को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. यहां से जदयू के भी प्रत्याशी थे, लेकिन पप्पू यादव चुनाव जीत गए है. पप्पू यादव को 5,67,556 वोट प्राप्त हुए जबकि जदयू के संतोष कुमार को 5,43,709 वोट प्राप्त हुए. राजद की बीमा भारती को मात्र 27,120 वोट पर संतोष करना पड़ा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो