☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. News Update

Big Story :झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

Big Story :झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

कैग (CAG) की रिपोर्ट में झारखंड में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिक्स की भारी कमी का खुलासा हुआ है। मार्च 2022 तक, राज्य में चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के 3,634 स्वीकृत पदों में से 2,210 पद खाली पड़े थे। यह कुल आवश्यकता का 61% है। इसके अलावा, स्टाफ नर्सों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की भी भारी कमी पाई गई, जिससे मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।

जरूरी दवाओं की किल्लत

कैग की रिपोर्ट में झारखंड के सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की भारी कमी पाई गई। वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में 65% से लेकर 95% तक दवाओं की उपलब्धता नहीं थी। यह स्थिति राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को दर्शाती है।

कोविड फंड का सही इस्तेमाल नहीं

कैग ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि झारखंड सरकार कोविड-19 प्रबंधन के लिए आवंटित राशि को सही तरीके से खर्च नहीं कर सकी। केंद्र सरकार ने कोविड के लिए 483.54 करोड़ रुपये जारी किए थे, जिसमें से राज्य सरकार को 272.88 करोड़ रुपये जोड़ने थे। कुल 756.42 करोड़ रुपये की राशि में से केवल 436.97 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके, जो कुल आवंटन का मात्र 32% था।

अधूरी स्वास्थ्य सुविधाएं और देरी से जांच रिपोर्ट

कोविड-19 के लिए आवंटित राशि का समुचित उपयोग न होने के कारण कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित नहीं की जा सकीं। जिला स्तर पर आरटी-पीसीआर प्रयोगशालाएं, शिशु चिकित्सा उत्कृष्टता केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), और तरल चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना अधूरी रह गई। इसके कारण, मरीजों के कोविड सैंपल जांच के लिए दूसरे जिलों में भेजे गए, जिससे रिपोर्ट आने में पांच दिन से लेकर दो महीने तक की देरी हुई।

19,125 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया

कैग की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया गया है। वर्ष 2023-24 में विभिन्न विभागों द्वारा सहायक अनुदान के रूप में दी गई 19,125.88 करोड़ रुपये की राशि के विरुद्ध 5,209 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं कराए गए। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इस राशि का व्यय किस प्रयोजन में किया गया, इसका कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

मातृत्व लाभ योजना में अनियमितताएं

रिपोर्ट में बोकारो और धनबाद जिलों में मातृत्व लाभ योजना में हुई अनियमितताओं का भी जिक्र किया गया है। इसमें पाया गया कि कुछ महिला कर्मचारियों को मात्र चार महीने में ही दो बार मातृत्व लाभ मिल गया, और प्रत्येक बार उन्हें 1,500 रुपये की अनुग्रह राशि दी गई। इस प्रकार की अनियमितताओं से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की संभावना को बल मिलता है।

आयुष्मान भारत और अबुआ स्वास्थ्य योजना की हकीकत

झारखंड में केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को "आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना" के नाम से लागू किया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को सालाना 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। केंद्र सरकार इस योजना में 60% और राज्य सरकार 40% का योगदान देती है।

हेमंत सरकार ने "अबुआ स्वास्थ्य योजना" की घोषणा की, जिसके तहत 15 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सेवाएं देने का वादा किया गया है। लेकिन, सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके अनुसार यह योजना केवल शहरी क्षेत्रों में 50 बेड से अधिक और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 बेड से अधिक वाले अस्पतालों में ही लागू होगी।

इस शर्त के चलते पूरे झारखंड में केवल 15 अस्पताल ही इस योजना के तहत पात्र रह जाएंगे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में एक भी अस्पताल इस योजना में शामिल नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि सरकार केवल बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों को ही इस योजना का लाभ देना चाहती है, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस योजना से वंचित रह जाएंगे।

निष्कर्ष

कैग की रिपोर्ट झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। चिकित्सकों और दवाओं की कमी, कोविड फंड का सही उपयोग न होना, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं, तथा आयुष्मान भारत और अबुआ स्वास्थ्य योजना के क्रियान्वयन में धांधली—यह सभी मुद्दे दर्शाते हैं कि झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधार की सख्त जरूरत है। अगर सरकार जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाती, तो राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने में और ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

Published at:01 Mar 2025 12:16 AM (IST)
Tags:Jharkhand NewsJharkhand Latest Jharkhand Health dept.Hemant Government Banna GuptaHealth department Jharkhand JMM BJP Jharkhand Health report Jharkhand CAG reportहेमंत सरकारझारखंड समाचारझारखंड हेल्थ विभाग Corona Covid
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.