धनबाद(DHANBAD): कच्चे तेल की बढ़ती कीमत एक बार फिर सबको परेशान कर सकती है. आंकड़े के मुताबिक कच्चे तेल की कीमत जून से लेकर सितंबर तक करीब 30% बढ़ी है और यह लगातार जारी है. कच्चा तेल अब $100 प्रति बैरल छूने की स्थिति में पहुंच चुका है.आंकड़े भी बताते हैं कि पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमत में 1 4% का इजाफा हुआ है. सऊदी अरब और रूस के कच्चे तेल के उत्पादन और आपूर्ति में कटौती के फैसले से कच्चे तेल की कीमत में तेजी आई है. भारत कच्चे तेल का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है. महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था अभी पटरी पर लौट ही रही है कि तेल की कीमत फिर से महंगाई को भड़काने के लिए तैयार दिख रही है. कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा और इसकी भरपाई के लिए तेल कंपनियों को कुछ ठोस निर्णय अथवा कठोर निर्णय लेने पड़ सकते है. जानकार भी बताते हैं कि
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमत में $1 की बढ़ोतरी का असर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमत में $1 की बढ़ोतरी होती है तो भारत में पेट्रोल- डीजल के दाम में 50 से 60 पैसे की बढ़ोतरी होती है. यह तो सभी जानते हैं कि कच्चे तेल और महंगाई में सीधा संबंध है. अगर कच्चे तेल के दाम में वृद्धि होती है तो उसका असर पेट्रोल और डीजल की दर पर पड़ता है. इसके बाद परिवहन महंगा हो जाता है, फिर देश में हर तरह के सामानों के मूल्य में बढ़ोतरी हो जाती है. जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है. ट्रांसपोर्टिंग कॉस्ट बढ़ने के कारण सभी चीजों के मूल्य बढ़ जाते है. इतना ही नहीं अगर आप दोपहिया अथवा चार पहिए वाहन के मालिक हैं तो आपको भी प्रति महीने पेट्रोल- डीजल के मद में अधिक खर्च करना होगा.अभी कई राज्यों में चुनाव है ,इसलिए भी मूल्यबृद्धि पर अभी ध्यान नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो