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बड़ा सवाल - कब तक कोयले के अवैध उत्खनन में मरते रहेंगे लोग और मामले की  होती रहेगी लीपापोती 

बड़ा सवाल - कब तक कोयले के अवैध उत्खनन में मरते रहेंगे लोग और मामले की  होती रहेगी लीपापोती 

धनबाद(DHANBAD): कतरास के आउटसोर्सिंग परियोजना में कोयले के अवैध खनन के दौरान गुरुवार को चार लोग दब  मरे.  यह घटना गुरुवार की सुबह पौ फटने  के पहले हुई.   मृत लोगों की पहचान तो हो गई है लेकिन प्रबंधन अथवा प्रशासन इस घटना को नकारने में लगा हुआ है.  इस बार का मामला थोड़ा अधिक गंभीर है, क्योंकि धनबाद के दो  विधायकों ने इस मामले को सरकार के समक्ष उठाया है. भाजपा विधायक ढुल्लू महतो ने तो विधानसभा में इस मामले को उठाया और सरकार से पूछा कि  कब बंद होगा अवैध उत्खनन, सरकार आखिर कितनी जान लेगी. उनका कहना है कि डीएसपी बंगला से आधा  किलोमीटर दूर घटना घटी है.  उनका आरोप था कि धनबाद में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है. अवैध उत्खनन की तस्वीरें भी दिखाने का दावा कर रहे थे.  इधर, टुंडी विधायक मथुरा महतो ने भी इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाते हुए कहा कि मरने वाले के परिजनों को 20 लाख  का मुआवजा और बीसीसीएल में नौकरी दी जाये.  विधायकों का दावा था कि केवल 4 ही नहीं बल्कि 10 लोग गुरुवार की सुबह की घटना में मारे गए है. 

प्राथमिकी तो होती है लेकिन तस्कर गिरफ्तार नहीं होते 

 कहने को तो धनबाद के कुल 52 थाना और ओपी  में प्राय हर कोयला तस्करों के खिलाफ मामले दर्ज है.  लेकिन यह केवल रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए किया गया है.  किसी भी f.i.r. पर दमदार कार्रवाई नहीं होती.  नतीजा है कि कोयला कटवाने वाले गैंग  के मुखिया स्वच्छंद रहते हैं और कोयले की तस्करी से अपनी गोटीलाल करते रहते है.  देखा जाए तो धनबाद में अवैध खनन का नया तरीका शुरू हुआ है.  पहले बंद मुहानों को खोलकर अवैध खनन किया जाता था.  अब आउटसोर्सिंग परियोजनाओं में ही कोयला तस्कर भाड़े पर बाहर से मजदूरों को लाकर कोयला खनन करा रहे है.  यहां तक की खनन कर रखे गए कोयले को भी उठा ले रहे है.  कई आउटसोर्सिंग कंपनियों में तो रात भर की रेजिंग को  कोयला चोर उठा ले जाते है.  कई में तो निर्धारित समय की छूट दी जाती है कि जितना कोयला ले जा  सके, ले जाए.  आउटसोर्सिंग परियोजना में हादसे की मुख्य वजह दीवार दरकना है.  आउटसोर्सिंग परियोजना में कोयले की खड़ी दीवार से सटाकर कोयले का उत्खनन कोयला चोर करते है.  थोड़ी भी असावधानी होने से ऊपर से हजारों टन ओवरबर्डन का मलवा नीचे गिर जाता है और लोगों की मौत हो जाती है.  यह काम बेहद जोखिम भरा होता है. तस्कर बिना लोगो की जान की परवाह किये बिना यह सब काम करवाते है. 

सवाल एक नहीं कई है 

अब यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि खनन क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र है ,यहां लोगों का प्रवेश कैसे हो जाता है, क्या बीसीसीएल और सीआईएसएफ की कोई जवाबदेही नहीं है कि निषेध  क्षेत्र में उन्हें जाने से रोका जाए, क्या इलाके की फेंसिंग की गई है, पुलिस भी इस मामले में कहीं ना कहीं भागीदार होती है.  नतीजा होता है कि पुलिस तभी पहुंचती है जब गोली -बम चलते है. बाकी तो पुलिस सबकुछ देखकर भी कुछ नहीं देखती है.  कोयला चुराने के लिए हर दिन भारी भीड़ होती है.  साइकिल ,बाइक छोटे वाहन परियोजना में ले जाए जाते है.  पुरुष, महिलाएं और बच्चे कोयला उठाने के लिए जाते हैं और उसके बाद घटनाएं हो जाती है.  जिन चार लोगों की मौत हुई है, उनका दाह संस्कार कर दिया गया है.  लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में यह सब दर्ज नहीं है.  मतलब साफ है कि अवैध उत्खनन के काम में चाहे पुलिस हो, सीआईएसएफ या बीसीसीएल मैनेजमेंट हो, सबकी भागीदारी है और यही वजह है कि अवैध उत्खनन के साथ कोयला चोरी और तस्करी यहां धड़ल्ले से चल रहा है.  धनबाद के 2 विधायकों ने इस बार मामला सीधे-सीधे सरकार के संज्ञान में लाया है.  अब देखना है कि इस मामले को भी लीपपोत कर  बराबर कर दिया जाता है अथवा खनन करने वालों की पहचान कर  कार्रवाई की जाती है.

रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह 

Published at:24 Mar 2023 12:47 PM (IST)
Tags:jharkhand dhanbad illegal coal miningcoal mining
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