धनबाद(DHANBAD): छात्र प्रिंस साव अब लौटकर नहीं आएगा. झरिया के सी गर्ल्स स्कूल के जर्जर छज्जे ने उसकी जान ले ली. उस बच्चे को क्या मालूम था कि शनिवार की परीक्षा उसके जीवन की अंतिम परीक्षा साबित होगी. इस घटना ने जहां लोगों को झकझोर कर रख दिया है वहीं शिक्षा विभाग के साथ साथ झारखंड सरकार को भी सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. क्या इस घटना को आधार बनाकर शिक्षा विभाग धनबाद जिले के स्कूलों के जर्जर भवनों का सर्वे कराएगा. जहां के भवन जर्जर हो गए हैं, वहां से स्कूल को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट कराएगा. स्कूल भवनों की मरम्मत का कोई प्रयास करेगा. यह सब ऐसे सवाल हैं, जो शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़े करते हैं.
यह है पूरा मामला
ऐसी बात नहीं है कि शनिवार को के सी गर्ल्स स्कूल का जो छज्जा गिरा, इसके पहले इस स्कूल के छत के प्लास्टर नहीं गिरे थे. मीडिया में लगातार इस तरह की खबरें आती रही है. हो सकता है कि स्कूल मैनेजमेंट शिक्षा विभाग को मरम्मत के लिए पत्र लिखा हो ,लेकिन सिर्फ इतना भर से तो काम नहीं चलेगा. शनिवार को तो एक बच्चे की जान चली गई. दरअसल, स्कूल में शनिवार को आठवीं बोर्ड की द्वितीय पाली की परीक्षा चल रही थी. प्रिंस परीक्षा देने के बाद खाना खाने के लिए अपने घर जा रहा था. जैसे ही वह स्कूल के दरवाजे के पास पहुंचा, गेट का छज्जा भरभरा कर उसके ऊपर गिर गया. उसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. कई अस्पतालों ने उसे रेफर किया. अंत में उसकी मौत हो गई. घटना की सूचना पाकर अभिभावक स्कूल पहुंचे. बताया जाता है कि के सी गर्ल्स स्कूल में तीन विद्यालयों के सेंटर हैं. इन में गुजराती मध्य विद्यालय, झरिया के 209 बच्चे, DAV मध्य विद्यालय के 62 एवं बालवाडी मध्य विद्यालय के 32 परीक्षार्थी आठवीं बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं. घटना की सूचना के बाद काफी संख्या में अभिभावक स्कूल पहुंचे. कुछ लोग परीक्षा बंद कराने पर उतारू थे, लेकिन कई लोगों ने ऐसा करने से रोक दिया. घटना के बाद से लगातार हंगामा होता रहा. रात करीब 9 बजे आंदोलनकारी और जिला प्रशासन के बीच बातचीत हुई. अंचलाधिकारी ने कहा कि आपातकालीन व्यवस्था के तहत मिलने वाली राशि और सरकारी नौकरी के लिए सरकार को सर्व शिक्षा अभियान के तहत अनुशंसा की जाएगी .लोगों ने सड़क भी जाम कर दी थी. समझौता के बाद सड़क जाम हटा. इस घटना ने कम से कम जर्जर सरकारी स्कूल के भवनों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को परेशानी में डाल दिया है. अब शिक्षा विभाग के सामने बड़ी चुनौती है कि जर्जर भवन में पढ़ रहे बच्चों को कैसे सुरक्षित शिक्षा दे.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो