रांची(RANCHI): देश में हर व्यक्ति को साफ पीने का पानी मिले इस उद्देश्य के साथ केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत राज्य सरकार के सहयोग से की. जिसमें केंद्र सरकार ने खर्च करने वाली बड़ी राशि का बड़ा हिस्सा खुद अपने कंधे पर लिया. झारखंड में भी इस योजना को शुरू किया गया. लेकिन भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात इस योजना को भी नहीं छोड़ा. इसके बाद खेल शुरू हुआ बड़े कमीशन और सिंडीकेट का. इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक गई. नरेंद्र मोदी ने इस योजना में लूट को गंभीरता से लिया और इसकी जिम्मेवारी जांच एजेंसी को सौप दिया. इसी कड़ी में ईडी ने एक साथ बीस ठिकानों पर छापेमारी की है. जिसमें मंत्री के परिवार के लोगों के साथ निजी सहायक इंजीनियर सचिव और ठेकेदारों के ठिकानों पर दबिश बनाया.
जल जीवन के तहत केंद्र सरकार ने राज्य को 9544 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है. लेकिन लूट ऐसी मची की काम शुरू होने से पहले आठ से 12 प्रतिशत कमीशन लेना शुरू कर दिया गया.जिसकी जांच एजेंसी कर रही है. रेड खत्म होने के बाद इस पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कई अधिकारी और बड़े चेहरे को ईडी समन कर पूछताछ के लिए बुला सकती है. अगर इस छापेमारी के पहले देखे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग में जनसभा के दौरान भी इस योजना में हुए खेल का जिक्र किया था. उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा था कि पानी तो कोई भी किसी को पिलाता है गर्मी के मौसम में लोग घर के बाहर मटका रख देते है. लेकिन यह सरकार ने पानी की योजना में भी लूट मचा दिया है. इससे साफ था की केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट में जानकारी थी की झारखंड में जल जीवन मिशन योजना फेल होने के कगार पर है. इस योजना में भी कमीशन खोरी का खेल चला है और इसकी जानकारी मोदी तक पहुँच गई है.
इस छापेमारी को लेकर झारखंड में पेय जल स्वच्छता मंत्री मिथलेश ठाकुर ने भी बयान दिया है उनका मानना है कि भाजपा के इशारे पर रेड की जा रही है. अब तमाम सवाल का जवाब ईडी के छापेमारी खत्म होने के बाद खुद ब खुद मिल जाएगा. आखिर इस छापेमारी में कितना क्या मिला है. आखिर दस्तावेजों में क्या है और इसकी जांच कहाँ तक पहुँचने वाली है.