दुमका(DUMKA): निर्वाचन आयोग द्वारा झारखंड विधानसभा के चुनाव की तिथि घोषित होने के बावजूद अभी तक झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की गई है. लगभग 36 घंटे से सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक भाजपा के प्रत्याशियों की सूची वायरल हो रही है. वायरल सूची के आधार पर झारखंड की उप राजधानी दुमका के चौक चौराहों पर चर्चा तेज हो गई है. चाय की चुस्की के साथ जीत हार का समीकरण बनाया और बिगड़ा जा रहा है.
अमूमन दो अलग राजनीतिक दलों के समर्थकों में होती है तकरार
अमूमन चुनाव के वक्त दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और समर्थक के बीच तीखी नोंक झोंक और मारपीट की घटना भी घटित होती है. लेकिन इससे अलग दुमका में भाजपा कार्यकर्ता ही आपस में उलझ गए. दुमका भाजपा की गुटबाजी जग जाहिर है. चुनाव कोई भी हो दो प्रमुख नेता एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. दोनों के अपने-अपने समर्थक भी हैं. एक तरफ पूर्व सांसद सुनील सोरेन तो दूसरी ओर पूर्व मंत्री लुईस मरांडी का नाम आता है. लोक सभा चुनाव की बात करें तो दोनों की अपनी अपनी दावेदारी थी. केंद्रीय नेतृत्व ने पहले सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया लेकिन सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होते ही सुनील सोरेन से टिकट वापस लेते हुए सीता सोरेन को मैदान में उतार दिया. कहा जा रहा है कि भाजपा के अंतर्कलह के कारण ही सीता सोरेन की हार हुई. अब जबकि विधान सभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है तो फिर दोनों नेता की दावेदारी दुमका विधानसभा सीट पर है.
प्रत्याशी की सूची वायरल होते ही कहीं खुशी कहीं गम की स्थिति
पार्टी द्वारा प्रत्याशी के नाम की घोषणा भले ही नहीं हुई हो लेकिन प्रत्याशियों की सूची वायरस होते ही चर्चा का बाजार गर्म है. वायरल सूची में सुनील सोरेन को दुमका विधानसभा से प्रत्याशी दर्शाया गया है, जिसके आधार पर एक तरफ जहां सुनील सोरेन के समर्थक अति उत्साहित नजर आ रहे हैं वही लुईस मरांडी के समर्थकों में निराशा भी देखी जा रही है. दोनों के समर्थकों के बीच न केवल सोशल मीडिया पर जंग छिड़ा हुआ है बल्कि जमीनी स्तर पर भी दोनों के समर्थक एक दूसरे के खून के प्यासे नजर आने लगे हैं.
सुनील के समर्थक द्वारा लुइस के समर्थक पर चाकू से हमला का आरोप
ताजा मामला बुधवार देर रात की है. बताया जा रहा है कि इंदिरा नगर जरवाड़ीह मोहल्ला में वायरल सूची के आधार पर सुनील सोरेन और लुईस मरांडी के समर्थक के बीच तीखी बहस हो गई. सीताराम मिश्रा पूर्व सांसद सुनील सोरेन के समर्थक बताए जा रहे हैं तो अनुज सिंह पूर्व मंत्री लुईस मरांडी के समर्थक. दोनों के बीच बाहर कितनी तीखी हुई की नौबत मारपीट तक पहुँच गयी. आरोप है कि सीताराम मिश्रा ने वायरल सूची में सुनील सोरेन को दुमका विधानसभा का प्रत्याशी बनाए जाने पर खुशी का इजहार करते हुए लुईस मरांडी के बारे में अनर्गल बातें बोल रहा था, जिसका विरोध अनुज सिंह ने किया. आवेश में आकर सीताराम मिश्रा और उसके बेटे ने अनुज सिंह पर चाकू से वार कर दिया. ताबड़तोड़ चाकू का वार उसके पेट पर किया गया.
PJMCH से अनुज सिंह को किया गया रेफर
घटना के बाद परिजन अनुज सिंह को लेकर फूलोझानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे. जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया गया. परिजन अनुज सिंह को लेकर दुर्गापुर पहुंचे जहां डॉक्टर ने स्थिति खतरे से बाहर बताया. दुर्गापुर में इलाज के बाद अनुज सिंह को वापस दुमका लिया गया, फिलहाल वह अपने घर में है.
मामले की जांच में जुटी नगर थाना की पुलिस
मामले की जानकारी नगर थाना को दी गई. नगर थाना की पुलिस अनुज सिंह के घर पहुंचकर मामले की जानकारी ले रही है. फिलहाल पुलिस कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. पुलिस का बयान आने पर हम वह भी आपके समक्ष रखेंगे. वहीं आरोपी सीताराम मिश्रा फरार बताया जा रहा है.
लुइस के समर्थकों में आक्रोश तो सुनील के समर्थक का आरोप: बेवजह जोड़ा जा रहा है पूर्व सांसद का नाम
इस घटना से एक तरफ जहां लुईस मरांडी के समर्थकों में आक्रोश व्याप्त है वहीं सुनील सोरेन के एक समर्थक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बेवजह इस घटना को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है. यह दोनों का आपसी विवाद है. सुनील सोरेन के एक समर्थन का दावा है कि सांसद रहते सुनील सोरेन ने अनुज सिंह को भी लाभ पहुंचाया है. इसलिए इस घटना में दोनों को एक दूसरे का समर्थन बता कर पूर्व सांसद का नाम घसीटना कहीं से भी जायज नहीं है.
भाजपा के अंतर्कलह का लाभ चुनाव में मिल सकता है विपक्षी पार्टी को!
मामले की सच्चाई क्या है यह अनुसंधान का विषय है और पुलिस अपना काम कर रही है. आज नहीं तो कल सच्चाई सामने जरूर आएगा. लेकिन इतना जरूर है कि इस घटना ने भाजपा में जारी गुटबाजी को एक बार फिर से उजागर कर दिया है. वह भी ऐसे वक्त में जब चुनाव की घोषणा हो चुकी है और आज नहीं तो कल प्रत्याशियों के नाम भी घोषित कर दिए जाएंगे. इस स्थिति में पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारे दूसरे गुट का कितना समर्थन उसे मिलेगा यह समझ जा सकता है. आपसी लड़ाई का खामियाजा एक बार फिर दुमका में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है.
रिपोर्ट: पंचम झा