पलामू(PALAMU): "जहां चाह, वहां राह" इस सिद्धांत को साकार किया है एनसीपी के युवा नेता सूर्या सिंह ने, जिन्होंने सेव बेतला सेव पलामू की (#SaveBetla_SavePalamu) मुहिम के माध्यम से पलामू टाइगर रिजर्व में चार साल बाद बाघिन की पुष्टि कराई है. 2019 में इस मुहिम की शुरुआत करते समय, इस नेशनल पार्क में बाघों की संख्या शून्य थी. पिछले दो वर्षों में पलामू टाइगर रिजर्व अंतर्गत बाघों की उपस्थिति तो देखने को मिली, लेकिन बाघिन की अनुपस्थिति से बाघों के रहने की स्थिरता अनिश्चित थी. हाल ही में बाघिन की पुष्टि ने सूर्या सिंह के नेतृत्व में पलामू वासियों की मेहनत को फलीभूत किया है, और पलामू ही नहीं देश विदेश से पलामू टाइगर रिजर्व आने वाले सैलानियों की जिज्ञासा और बढ़ गई है. इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी.
सूर्या सिंह का संकल्प है कि पलामू में फिर से बाघों की गर्जन गूंजे, उनकी संख्या बढ़े, जिससे इसे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ हकीकत में नेशनल पार्क के रूप में विख्यात हो सके. पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के नए नए अवसर पैदा होंगे. बाघों की बढ़ती संख्या न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखेगी, बल्कि इससे स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे. बाघिन की उपस्थिति से बाघों के रहने में स्थिरता आएगी, और उनकी संख्या में भी वृद्धि होगी.
यह अभूतपूर्व सफलता दर्शाती है कि जब किसी व्यक्ति का संकल्प मजबूत हो, तो सभी शक्तियां बदलाव के लिए एक साथ स्वतः काम करने लगती हैं. "जहां सूर्या, वहां उम्मीद की किरण" यह नारा पलामू के लिए एक नई दिशा और उम्मीद का प्रतीक बन गया है.
बाघिन की उपस्थिति की पुष्टि होने पर युवा नेता सूर्या सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सभी पलामूवासियों को बधाई देते हुए उनकी मेहनत और योगदान के लिए आभार व्यक्त किया है. उनका मानना है कि प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर झारखंड के पलामू ज़िले के विकास और उन्नति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है. इसे संरक्षित और सुरक्षित करना सभी का दायित्व है. उन्होंने कहा कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व एरिया से रेल लाइन और सड़क गुजरने की वजह जंगली जानवर बड़ी संख्या में अन्यत्र पलायन कर जाते हैं.
उन्होंने जब इस मामले को उठाया तो राज्य सरकार ने सड़क बाहर से ले जाने की स्वीकृति प्रदान कर दिया. वह इस मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों से रेल विभाग भारत सरकार को प्रस्ताव भेजने का आग्रह किया था. बाद में रेल मंत्री भारत सरकार से मिल कर वस्तुस्थिति से उन्हे अवगत भी कराया. रेल मंत्रालय ने भी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बाहर बाहर रेल लाइन बिछाने की मंजूरी दे दी है. इससे जंगल में जानवरों की संख्या स्वताः बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारो.